समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, CJI बोले- क्या शादी मौलिक अधिकार है?

वकिल द्विवेदी ने कहा कि विवाह एक सामाजिक संस्था है।

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Same Sex Marriage
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Same Sex Marriage:देश में समलैंगिक विवाह का मुद्दा तूल पकड़ा हुआ है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में आज आठवें दिन भी सुनवाई जारी रही। CJI की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच में वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने मध्य प्रदेश राज्य के लिए अपनी दलीलें देते हुए स्पाउस को डिस्क्राइब करते हुए एक कंपाइलेशन कोर्ट को दिया। उन्होंने शक्तियों के पृथक्करण पर जोर देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 50 का हवाला देते हुए कहा कि यह एक सलाहकार का क्षेत्राधिकार है। संसद इसके लिए सक्षम है। यह न्यायिक कार्य बिल्कुल भी नहीं है।

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Same Sex Marriage:समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस

वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी के दलीलों पर CJI ने कहा कि अनुच्छेद 50 अलग विचार के साथ तैयार किया गया था। यह सेटल्ड है। CJI ने पूछा कि अगर समलैंगिकता के मुद्दे को छोड़ दें तो क्या शादी मौलिक अधिकार है? क्योंकि आपका कहना है कि विवाह मौलिक अधिकार नहीं है? वहीं, जस्टिस भट ने पूछा कि क्या इस देश के किसी भी नागरिक को निजता और गरिमा के अधिकार के साथ शादी करने का अधिकार मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21 का हिस्सा है या नहीं? इस पर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि हेट्रोसेक्सुअल लोगों को अपने धर्म के अनुसार शादी करने का अधिकार है।

CJI ने कहा कि शादी करने का अधिकार संविधान के तहत है लेकिन आपके अनुसार यह केवल हेट्रोसेक्सुअल के लिए है। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि संस्कृति और रीति-रिवाजों को एक तरफ रखकर क्या हम कह सकते हैं कि संविधान हमें अधिकार देता है ? इस पर द्विवेदी ने कहा कि विवाह की संस्था का बहुत समय पहले अस्तित्व में आई। जस्टिस हिमा कोहली ने पूछा कि संविधान के अस्तित्व में आने से पहले भी विवाह की संस्था थी?

वकिल द्विवेदी ने कहा कि विवाह एक सामाजिक संस्था है। ऐसा नहीं है कि कोई दो व्यक्ति एक साथ रहते हो और इसे विवाह कहने लग जाए। उन्होंने कहा SMA अब असंवैधानिक हो गया है क्योंकि इस तरह के परिवर्तन किए गए हैं।

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