सजायाफ्ता लोगों को पार्टी पदाधिकारी बनने या नई पार्टी बनाने से रोकने की मांग के मामले में केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करने की मांग की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि किसी को केवल इसलिए राजनीतिक पार्टी बनाने से नहीं रोका जा सकता कि वो चुनाव आयोग द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया है। साथ ही केंद्र ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि किसी अयोग्य नेता को पार्टी के पद और रखना या नहीं रखना पार्टी की स्वायत्तता का मामला है।
यह हलफनामा केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे वकील अश्वनी उपाध्याय की उस याचिका पर दाखिल किया है। जिसमे अश्विनी उपाधयाय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि दोषी लोगों के राजनीतिक पार्टी बनाने और उनके पार्टी में किसी पद पर बने रहने पर रोक लगाई जाए जब तक उसे आरोप मुक्त न किया जाए। उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट मे दायर अपनी याचिका में ये भी मांग की है कि अगर पार्टी दागी नेताओं को पार्टी में पदों पर रखती है तो पार्टी के राजिस्ट्रेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा था और कहा था कि ये मामला गंभीर है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था अगर कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता तो वो कोई भी राजनीतिक पार्टी कैसे बना सकता है साथ ही वो पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए कैसे चुन सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा था कि कोई व्यक्ति सीधे चुनाव नहीं लड़ सकता, इसके लिए वह एक राजनैतिक दल बनाने और चुनाव लड़ने के लिए लोगों का समूह बनाता है। लोकतांत्रिक गतिविधियों को करने के लिए लोगों की एक संस्था जैसे अस्पताल या स्कूल हैं, वो ठीक है लेकिन जब शासन के क्षेत्र की बात आती है तो यह मामला अलग है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर चुनाव आयोग ने भी राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार दिए जाने की मांग की है। हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा है कि वो पार्टियों का रजिस्ट्रेशन तो करता है लेकिन चुनावी नियम तोड़ने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई का उसे अधिकार नहीं है। इसके लिए कानून में बदलाव किया जाना चाहिए।