Hijab Controversy: कर्नाटक हिजाब मामले पर हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हिजाब बैन को मानना पड़ेगा। हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि हिजाब पर लगे प्रतिबंध का छात्र विरोध नहीं कर सकते हैं। इस फैसले के बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। साथ ही कर्नाटक के कई जिलों में धारा 144 लागू है। वहीं 21 मार्च तक सार्वजनिक तौर पर सभा, आंदोलन और विरोध करने की इजाजत नहीं होगी।
High Court की टिप्पणी
कानून की नजर में हिजाब धर्म का अंग नहीं।
हिजाब इस्लाम के अनिवार्य धार्मिक व्यवहार का हिस्सा नहीं।
छात्र स्कूल यूनिफॉर्म पहनने पर आपत्ति नहीं कर सकते।
हिजाब पहनना इस्लाम में जरूरी नहीं।
हिजाब पर राज्य सरकार को रोक जायज।
सरकार के आदेश को चुनौती का कोई आधार नहीं।
Hijab Controversy: कब हुई थी घटना?
जाहिर है उड्डुपी की लड़कियों ने हिजाब विरोध मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर मांग की थी कि उन्हें स्कूल और कॉलेज में हिजाब पहनने से न रोका जाए। यह उनके आस्था का विषय है। इस पर 9 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जएम खाजी की उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ का गठन किया गया था।
घटना फरवरी 2022 में कर्नाटक (Karnataka) के उड्डुपी (Udupi) के कुंडापुर के सरकारी First Grade College और स्कूल में हुई थी। भगवा गमछमा पहनकर लड़कों का विरोध करना कॉलेज के प्रबंधन पर इतना असर कर गया कि उन्होंने हिजाब पहन कर आने वाली लड़कियों की कॉलेज में एंट्री बंद कर दी। लड़कियों के सामने शर्त रखी गई कि वे अगर हिजाब को कॉलेज के बाहर उतार कर आती हैं तो उन्हें प्रवेश मिलेगा। इसे लेकर लड़कियों ने 9 फरवरी को कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
Hijab Controversy: कैसे शुरू हुआ था मामला
हिजाब बनाम भगवा का मामला अचानक शुरू नहीं हुआ। दरअसल दिसंबर 2021 में कर्नाटक का उड्डुपी जिला, उड्डुपी के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर गर्ल्स से एक विवाद शुरू हुआ। कुछ मुस्लिम छात्राओं ने आरोप लगाया था कि उन्हें क्लास में हिजाब पहनने से रोका गया है। जनवरी में उन छात्राओं ने कॉलेज कैंपस में ही प्रोटेस्ट किया। इसको स्थानीय मीडिया ने उछाल दिया। इस विवाद में फिर अलग अलग संगठन कूद गए। हिंदू संगठन मांग करने लगे कि उन्हें भी स्कूल कॉलेजों में धार्मिक प्रतीक इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए। यहीं से हिजाब का विरोध शरू हुआ और अब तक खत्म नहीं हुआ है।
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