विचाराधीन कैदियों को Supreme Court से मिली बड़ी राहत, जानिए क्या है BNSS 479?

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क्या है BNSS 479?
क्या है BNSS 479?

इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने ले ली है। नए कानूनों को लेकर दावा है कि अब पहले की तुलना में कम समय में इंसाफ मिलेगा। पेंडिंग मुकदमों का बोझ कम होगा। अंडरट्रायल कैदियों को भी राहत मिलेगी। कम गंभीर अपराधों के तहत जेल में बंद हजारों कैदियों की रिहाई संभव हो सकेगी। अब लंबे समय से जेल में बंद पुराने विचाराधीन कैदियों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन पर भी BNS की धारा 479 लागू होने का आदेश दिया है। केंद्र सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट करने के बाद जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है।

विचाराधीन कैदी वो अभियुक्त व्यक्ति होता है जिसे उस समय तक न्यायिक हिरासत में रखा जाता है जब तक कोर्ट में उसके मामले की सुनवाई पूरी नहीं होती। देश में अंडरट्रायल कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ये वो लोग हैं जिनकी किसी अपराधिक मामले में गिरफ्तारी हुई लेकिन केस अभी चल रहा है और अदालत से फैसला नहीं आया है। कई अंडरट्रायल कैदी ऐसे हैं, जो इंसाफ होने में देरी की वजह से बिना दोषी साबित हुए लंबे समय से जेल में बंद हैं।

धारा 479 के तहत एक तिहाई सजा भुगत चुके पहली बार के अभियुक्तों को जमानत मिलने का प्रावधान रखा है। इस पर स्थिति साफ होने के बाद अब पहले अपराध में पकड़े गए और अपनी एक तिहाई सजा भुगत चुके आरोपियों को जमानत मिल जाएगी। ये धारा कहती है कि पहली बार के अपराधी विचाराधीन कैदी अगर उस कानून में आरोपित अपराध में दी गई अधिकतम सजा की एक तिहाई जेल काट लेता है तो कोर्ट उसे बांड पर रिहा कर देगा। उम्रकैद और मृत्युदंड की सजा के अलावा किसी अपराध में आरोपित विचाराधीन कैदी अगर कुल सजा की आधी सजा काट लेता है तो कोर्ट उसे जमानत पर रिहा कर देगा।