प्रेमी ने प्रेमिका को शादी का झासा देकर किया रेप, युवक ने युवती को शादी के जाल में फंसा कर बनाए शारीरिक संबंध, इस तरह की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। इस मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पण की है। कोर्ट ने कहा कि यदि शादी का वादा कर आपसी सहमति से संबंध बनाए गए हैं तो पुरुष पूर्ण रुप से दोषी नहीं होगा।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देते हुए यह अहम टिप्पणी की है। हालांकि ट्रायल कोर्ट को इन टिप्पणियों पर गौर किए बगैर ट्रायल पूरा करने की सलाह दी है।

याचिका दायर करते हुए आरोपी ने बताया था कि 17 मार्च को कुरुक्षेत्र में दुष्कर्म और एससी/एसटी एक्ट का मामला दर्ज करवाया था। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता व सरकार की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि एफआईआर देखने से स्पष्ट होता है कि महिला से जबरन संबंध नहीं बनाए गए थे।

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अरोप के मुताबिक महिला का संबंध उसके पति के साथ नहीं था इस बीच याचिकाकर्ता ने महिला से शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बानए। किसी कारणवश यह शादी नहीं हो पाई जिस कारण यह मामला सहमति संबंध का है। साथ ही महिला अभी विवाहित है और उसका पति से तलाक नहीं हुआ है तो वैसे भी अभी वह आरोपी से विवाह नहीं कर सकती है।

ऐसे में साफ पता चलता है कि पुरुष पूर्ण रुप से दोषी नहीं है। इस कांड में महिला की भी भागीदारी है। हाईकोर्ट ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट लगाते हुए ऐसा कोई जिक्र नहीं किया गया, जिससे यह साबित होता हो कि जाति के कारण शिकायतकर्ता का अपमान हुआ हो या उसे पीड़ित किया गया हो।

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