Bilkis Bano सामूहिक दुष्‍कर्म केस पहुंचा Supreme Court, दोषियों की रिहाई पर सुनवाई करने को कोर्ट तैयार

Supreme Court: मालूम हो कि वर्ष 2002 में गोधरा में साबरमती एक्‍सप्रेस पर हमले और 59 यात्रियों, मुख्‍य रूप से कार सेवकों को जलाकर मारने के बाद गुजरात में हिंसा भड़क उठी थी।

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Supreme Court on Hemant Soren today
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बिल्‍कीस बानो सामूहिक दुष्‍कर्म मामले अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।इस मामले के 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा किए जाने के मामले की सुनवाई पर कोर्ट सहमत हो गया है। मुख्‍य न्‍यायाधीश एनवी रमना की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने दोषियों को सजा में दी गई छूट और उसके कारण उनकी रिहाई के खिलाफ वकील कपिल सिब्‍बल और अर्पणा भट की दलीलों पर संज्ञान लिया है। इस मामले में सिब्‍बल ने कहा कि हम केवल छूट को चुनौती दे रहे हैं, सु्प्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं।शीर्ष अदालत ने इससे पूर्व गुजरात सरकार से छूट की याचिका पर विचार करने को कहा था।

Supreme Court: top news hindi on Bilkis Bano
Supreme Court.

Supreme Court: क्‍या है पूरा मामला?

Godhra Kand in 2002 in Gujarat.
Godhra Kand 2002 in Gujarat.

मालूम हो कि वर्ष 2002 में गोधरा में साबरमती एक्‍सप्रेस पर हमले और 59 यात्रियों, मुख्‍य रूप से कार सेवकों को जलाकर मारने के बाद गुजरात में हिंसा भड़क उठी थी। इसी दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद नामक जगह पर भीड़ ने 14 लोगों की हत्‍या कर दी थी। मरने वालों में बिल्‍कीस बानो की 3 वर्षीय बेटी सालेहा भी थी।
घटना के समय बिल्‍कीस बानो गर्भवती थी, उसका भी सामूहिक दुष्‍कर्म किया गया था। इसी मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद सुनाई गई थी।

Supreme Court: 15 अगस्‍त को मिली थी दोषियों को रिहाई

माफी नीति के तहत गुजरात सरकार द्वारा दोषियों को माफी दिए जाने के बाद बिल्‍कीस बानो सामूहिक दुष्‍कर्म और उनके परिवार के 7 सदस्‍यों की हत्‍या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को 15 अगस्‍त को गोधरा के उपकारागार से रिहा कर दिया गया था। जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध किया था।

Supreme Court: दहशत में गांव छोड़ रहे लोग

बिल्‍कीस बानो सामूहिक दुष्‍कर्म मामले में गुजरात सरकार का फैसला आते ही गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव से कई लोग घर छोड़ने लगे हैं।11 दोषियों की रिहाई के बाद कई मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं।पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है, हालांकि जेल से रिहा लोग पड़ोस के गांव से हैं।

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