Bar Association Chunav: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव पर गुप्त मतदान कराने का निर्णय लिया है। मतदान 18 अक्टूबर से तीन दिन यानी मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को कराया जाएगा। एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रेस आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि मतदान के लिए 5 सदस्यीय कमेठी गठित की गई है। इसमें अधिवक्ता सुरेश द्विवेदी, महेन्द्र बहादुर सिंह, शैलेंद्र राठौर, सोम नारायण मिश्रा व रचना दूबे शामिल हैं। कमेटी लाइब्रेरी हाल में यह मतदान कराएगी। फोटो हलफनामा शुल्क होगा पांच सौ रुपये। नई व्यवस्था में वादाकारियों का फोटो हलफनामा शुल्क 70 रुपये से बढ़कर 500 रुपये होगा। अध्यक्ष ने बताया कि बढ़ा शुल्क अधिवक्ताओं के फंड में जमा किया जाएगा। जिससे कि अधिवक्ताओं के कल्याण में खर्च किया जा सके।

Bar Association Chunav: हाईकोर्ट बार एसोसिएशन नियमावली में संशोधन
दरअसल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने एक बार फिर नियमावली में बड़े बदलाव का फैसला लिया है और सदस्यों से सुझाव मांगे हैं। नये प्रस्तावित संशोधन में तीन सालों तक लगातार 25 मुकदमें दाखिल या बहस करने वाले अधिवक्ता ही अध्यक्ष बन सकेंगे। एल्डर्स कमेटी को स्वतंत्र निकाय का दर्जा दिया गया है। अन्य पदों के लिए भी मानक तय किए गए हैं। अप्रैल माह से एसोसिएशन की नई कार्यकारिणी का कार्यकाल शुरू होगा, जो 31मार्च तक साल भर काम करेगी। नई नियमावली में एक 33सदस्यीय प्रतिनिधि सभा के गठन का भी प्रस्ताव है। जिसमें, 13 सदस्य कार्यकारिणी के पदाधिकारी होंगे और 20 सदस्यों में से 10 सदस्य 20 साल से कम की प्रैक्टिस करने वाले होंगे। वहीं बचे हुए 10 सदस्य 20 साल से अधिक की प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता शामिल होंगे। इसके अलावा पूर्व अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे।

पेशे से समर्पित अधिवक्ता आगे आएं- राधाकांत ओझा
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन केअध्यक्ष राधाकांत ओझा और महासचिव एसडी सिंह जादौन ने कहा कि नियमावली में संशोधन का एकमात्र ध्येय यह है कि पेशे से समर्पित अधिवक्ता आगे आएं और वह कार्यकारिणी को संचालित करें। नई व्यवस्था में नई एल्डर्स कमेटी अपने आप ही जनवरी से चुनावी प्रक्रिया शुरू कर देगी। अप्रैल के पहले सप्ताह में चुनी गई नई कार्यकारिणी अपना कार्यभार ग्रहण कर लेगी। एल्डर्स कमेटी में भी हर वर्ष बदलाव होता रहेगा। अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने वाले अधिवक्ता को लगातार तीन सालों तक 25-25 नए मुकदमें दाखिल या बहस करना होगा। वहीं, महासचिव व वरिष्ठ उपाध्यक्ष के लिए यह संख्या 20-20 निर्धारित की गई है। इसके अलावा उपाध्यक्ष और सचिव के लिए 15-15 और गर्वनिंग काउंसिल के लिए नए मुकदमों को दाखिल करने की संख्या 10-10 रखी गई है।
अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने कहा कि अभी तक यह व्यवस्था नहीं की गई है। कोई भी अधिवक्ता एक पद पर कई बार रह सकता था। लेकिन, नई व्यवस्था में एक पद पर 3 बार से अधिक नहीं चुना जा सकता है। महासचिव एसडी सिंह जादौन ने कहा कि नई व्यवस्था के तहत नए लोगों को कार्यकारिणी में चुने जाने के लिए मौका मिलेगा।
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