Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिका को ही खारिज कर दिया है। कोर्ट में यह याचिका एक युवती ने दायर की है। याचिका में पुलिस की अवैध गिरफ्तारी के बाद मुआवजे की मांग की गई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका पोषणीय नहीं है। वह सक्षम फोरम में जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस कुमार और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने रुबीना व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता ने पुलिस की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया है।
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Allahabad High Court: युवती ने गाजियाबाद पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
याचिका दायर करने वाली लड़की ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। युवती का कहना है कि वह अपने कमरे में रात में सो रही थी। गाजियाबाद के कोतवाली स्टेशन की पुलिस उसके आवास पहुंची और उसे अपने साथ चलने को कहा। युवती जब इसका कारण पूछने लगी तो पुलिस ने कुछ नहीं बताया। पुलिस उसे जबरदस्ती कोतवाली स्टेशन के साइबर सेल ले गई।
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युवती ने पुलिस हिरासत को गैरकानूनी बताया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक यह सही नहीं है। इस संबंध में कोर्ट ने पूछा कि क्या याची की ओर से कोई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पहले दाखिल की गई है। इस पर सरकारी अधिवक्ता ने जवाब दिया कि ऐसी कोई याचिका राहत पाने के संबंध में दाखिल नहीं की गई है।
Allahabad High Court: युवती के मूल अधिकारों का हनन- कोर्ट
हाईकोर्ट ने भले ही याचिका खारिज कर दी लेकिन कोर्ट ने माना कि युवती के साथ गलत हुआ है। कोर्ट ने कहा कि याची की ओर से दिए गए तर्क कि पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर उसके मूल अधिकारों का हनन हुआ है। हालांकि ठोस तथ्य के अभाव में इस मामले में कोर्ट ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। ऐसे में याचिकाकर्ता किसी भी फोरम में जा सकती है।
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