Allahabad HC: डिग्री कालेजों के अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 65 वर्ष करने के फैसले पर रोक

Allahabad HC: कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले चंद्र मोहन ओझा समेत 21 अन्य अध्यापकों से दो हफ्ते में जवाब मांगा है।

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Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालयों से संबद्ध डिग्री कॉलेज के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के एकलपीठ के फैसले पर रोक लगा दी है।एकलपीठ ने राज्य सरकार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेग्यूलेशन के अनुसार तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया था।जिसकी वैधता को विशेष अपील में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले चंद्र मोहन ओझा समेत 21 अन्य अध्यापकों से दो हफ्ते में जवाब मांगा है।

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Allahabad HC: अपील की अगली सुनवाई 11 अगस्त को

राज्य सरकार को उसके बाद चार हफ्ते में प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया गया है। अपील की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।

सरकार का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वर्ष 2010 में रेग्यूलेशन संशोधित किया था। अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 65 वर्ष कर दी।जिसे राज्य सरकार ने 31 दिसंबर, 2010 को आंशिक रूप से अपनाया है। जब तक विश्वविद्यालय अपनी परिनियमावली संशोधित नहीं कर लेते इसका लाभ उच्च शिक्षण संस्थाओं के अध्यापकों को नहीं मिल सकता।सरकार का कहना था कि एकलपीठ ने सरकार से जवाब मांगे बगैर निर्देश जारी किया है। इसलिए आदेश रद्द किया जाए।

Allahabad HC: टीचर का सेवानिवृत्ति विकल्प न भरना, ग्रेट्यूटी न देने का आधार नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सहायक अध्यापक की 60 साल से पहले मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी का भुगतान इस आधार पर नहीं रोका जा सकता।उसने सेवानिवृत्त होने की आयु का विकल्प नहीं दिया था।कोर्ट ने 28 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए सभी याचियों को 6 सप्ताह के भीतर आठ फीसदी दर से ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया है।ये आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने शिखा शर्मा, मंजू कुमारी सहित 28 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है।

Allahabad HC: डीआईओएस ने भुगतान से किया इंकार

याची के पति की मृत्यु सेवानिवृत्त होने से पहले ही हो गई। उन्होंने सेवा के दौरान विकल्प का चयन नहीं किया था। इस आधार पर डीआईओएस ने ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार कर दिया।जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी बहुत सी याचिकाएं हैं, जिसमें सहायक अध्यापकों ने विकल्प नहीं भरा और सेवाकाल में मृत्यु हो गई।

कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति आयु विकल्प का चयन न करना ग्रेच्युटी के भुगतान को रोकने का आधार नहीं हो सकता।याचियों को ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाए।कोर्ट ने डीआईओएस के आदेश को भी रद्द करते हुए कहा कि शिक्षकों को ग्रेच्युटी 6 सप्ताह के भीतर दी जाए।

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