Allahabad HC: अवैध नियुक्ति से जुड़े अधिकारियों की जांच के निर्देश

Allahabad HC: बीएसए ने जांच के दौरान पाया कि याची के चयन के समय न तो टाइपिंग टेस्ट लिया गया था और न ही चयन समिति में अनुसूचित जाति के विशेषज्ञ सदस्य को शामिल किया गया था।

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Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक स्कूल में लिपिक की अवैध नियुक्ति में शामिल अधिकारियों एवं चयन समिति के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं।बीएसए मेरठ से पूछा है कि उन्होंने किन विधिक प्रावधानों के तहत अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों के आदेशों को निरस्त किया है।

ये आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मेरठ के मेजर आशाराम त्यागी स्मारक कन्या विद्यालय के लिपिक सनी त्यागी की नियुक्ति निरस्त करने के खिलाफ याचिका पर दिया है lयाची को बीएसए के अनुमोदन पर विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा दिसंबर 2011 में नियुक्त किया गया थाl वर्ष 2020 में एक शिकायत के आधार पर बीएसए ने अपने अनुमोदन को निरस्त कर दिया।

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Allahabad HC: चयन के दौरान हुई लापरवाही

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बीएसए ने जांच के दौरान पाया कि याची के चयन के समय न तो टाइपिंग टेस्ट लिया गया था और न ही चयन समिति में अनुसूचित जाति के विशेषज्ञ सदस्य को शामिल किया गया था। न्यायालय ने पाया कि याची की अवैध नियुक्ति शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई थी। कोर्ट ने कहा बीएसए ने गलती स्वीकार की है।
कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई की तिथि पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाएगा।कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ से छह सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है कि किन विधिक प्रावधानों के तहत उन्होंने अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों के आदेशों की समीक्षा कर निरस्त किया हैl याचिका की सुनवाई 20जुलाई को होगी।

Allahabad HC: अपराध की निष्‍पक्ष और सही विवेचना पीड़िता एवं अभियुक्त का विधिक अधिकार-कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपराध की निष्‍पक्ष और सही विवेचना पीड़िता एवं अभियुक्त का विधिक अधिकार है।
कोर्ट ने एसएसपी अलीगढ़ और विवेचना अधिकारी को पीड़िता के बयान का ऑडियो-वीडियो क्लिप पेश करने का निर्देश दिया है। पूछा है कि बयान की रिकार्डिंग की गई है या नहीं। साथ ही एसएसपी से हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि पिछले एक साल में कितने मामलों में पीड़िता के बयान की रिकार्डिंग की गई है।याचिका की सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

Allahabad HC: एक आरोपी ने पुलिस विवेचना पर उठाए थे सवाल

ये आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आकाश की अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।मालूम हो कि 22 जुलाई 21 को गैंगरेप मामले में गौरव, गोविंद, भोला, नीरज और आकाश के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नाबालिग पीड़िता का पुलिस और मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज किया गया।

जिसमें उसने पांचों अभियुक्तों पर गैंग रेप का आरोप लगाया है। कांस्टेबल माधुरी ने इसके बाद पीड़िता का दोबारा बयान दर्ज किया और तीन अभियुक्तों को छोड़ दिया। दो अभियुक्तों आकाश और गोविंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
आकाश ने पुलिस विवेचना पर सवाल उठाते हुए कहा कि कहा उसके साथ नाइंसाफी की गई है। भेदभाव किया गया है। कोर्ट ने कहा कि बयान की रिकार्डिंग की गई है या नहीं। इसके जवाब में अपर महाधिवक्ता ने कहा डीजीपी ने सभी पुलिस अधिकारियों को संशोधित कानून का पालन करने का निर्देश जारी करते हुए चेतावनी दी है।लापरवाही करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने विस्तृत जानकारी के लिए चार हफ्ते का समय मांगा।

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