Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर को एक याची की कृषि भूमि की पैमाइश किए बगैर जबरन व्यायामशाला बनाए जाने के मामले की जांच का निर्देश दिया है।डीएम को पूरे मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही 5 जुलाई को अनुपालन रिपोर्ट भी पेश करने का निर्देश दिया है।
एसडीएम शाहगंज, बीडीओ शाहगंज और ग्राम सभा सैफपुर अशोक कुमार ग्राम प्रधान पर आरोप है कि आराजी संख्या 434 की बजाय अतिक्रमण कर 378 पर व्यायामशाला बनाने का आरोप है। जबकि आराजी संख्या 434 व्यायामशाला के लिए राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।
Allahabad HC: कार्रवाई न होने पर उच्चाधिकारी होंगे तलब
कोर्ट ने बिना विभाजन के याची को जमीन का कब्जा वापस नहीं कर पाने पर एसडीएम और तहसीलदार शाहगंज के इस कथन को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। कहा कि कोर्ट ने जानकारी मांगते समय ही पैमाईश कर आराजी निश्चित करने को कहा था। इसके बावजूद ऐसी जानकारी देना समझ से परे है।
कोर्ट ने जिलाधिकारी से कहा है कि यदि दोषी अधिकारियों पर की गई कार्रवाई से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई तो उच्चाधिकारियों को तलब किया जाएगा। कोर्ट खुद कार्रवाई करेगा। याचिका की सुनवाई 5 जुलाई को होगी।ये आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति विकास बधवार की खंडपीठ ने निर्मला की याचिका पर दिया है।याचिका पर वकील आरएन यादव एवं अभिषेक कुमार यादव ने बहस की।
इनका कहना था कि आराजी संख्या 378 रकबा 0.158 हेक्टेयर उसकी भूमिधारी भूमि है। जिसका अतिक्रमण कर प्रशासन द्वारा व्यायामशाला निर्माण किया जा रहा है। जबकि व्यायामशाला के लिए अलग भूमि निर्धारित है।खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाकर एसडीएम के निर्देश पर जेसीबी मशीन से समतलीकरण कार्य किया जा रहा है। फोटो भी दाखिल किया। जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए इसे कोर्ट की अवमानना माना है। कोर्ट ने डीएम जौनपुर को फोटोग्राफ और दस्तावेज सहित जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।
Allahabad HC: हजारों टन मक्का खराब होने पर किसान हताश, कोर्ट ने वसूली कार्रवाई पर रोक के दिए निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी गल्ले की दुकानों में रखे हजारों टन मक्का खराब होने अहम फैसला दिया है। राज्य सरकार द्वारा दुकानदारों से की जा रही वसूली कार्रवाई पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है।ये आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सरकारी सस्ते गल्ले के दुकानदार अनिल कुमार तिवारी की याचिका पर दिया है। याचिका पर वकील ओपीएस राठौर ने बहस की।
याचिका के अनुसार वर्ष 2020-21 में प्रदेश के 23 जिलों (जिनमें ज्यादातर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले शामिल हैं) में एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा मक्का की खरीद की गई। अप्रैल 2021 में इसके वितरण के बाद 7698.826 मीट्रिक टन मक्का दुकानों में ही पड़ा रह गया। शेष मक्के की उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा नियमावली के तहत जांच कराई गई तो मक्का खराब निकला।
केंद्र सरकार ने भी इस मक्के के उपयोग की इजाजत नहीं दी। इसके बाद राज्य सरकार ने दुकानदारों से बचे हुए मक्के के सापेक्ष धनराशि की वसूली के लिए आदेश जारी कर दिया।याची का कहना थाकि मक्का इसलिए बचा रह गया क्योंकि लोगों ने उसे खरीदा नहीं। ऐसे में दुकानदार को मक्का खराब होने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के वकील से जानकारी मांगते हुए अगली सुनवाई तक वसूली कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
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