Book Release: भारत की अमूल्‍य विरासत और गौरवशाली इतिहास को समझना बेहद जरूरी- K.K.Muhammad

Book Release: इस मौके पर मुख्‍य वक्‍ता पदमश्री केके.मुहम्‍मद ने कहा कि इतिहास के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य बेहद प्रशंसनीय हैं।इस दौरान उन्‍होंने प्रदेश में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को साझा किया और चंबल घाटी में सहेजी गई विरासतों पर बात की।

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Book Release: पंडित सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्‍यावसायिक शिक्षा संस्‍थान के सभागार में शनिवार को भारतीय इतिहास,कला एवं संस्‍कृति के क्षेत्र में कार्यरत सुरेश मिश्र इतिहास तथा सांस्‍कृतिक शोध संस्‍थान की ओर से संगोष्‍ठी एवं पुस्‍तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के भूतपूर्व निदेशक और पदमश्री केके.मुहम्‍मद मुख्‍य वक्‍ता के तौर पर उपस्थित थे। लेखक और सुप्रीम कोर्ट के वकील जे.साई दीपक भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर फाउंडेशन संस्‍थापक सदस्‍य प्रियंका मिश्रा की किताब सुरेश मिश्र समग्र गोंड राज्‍य का इतिहास के साथ जे.साई दीपक द्वारा लिखित किताब इंडिया भारत पाकिस्‍तान दि कांस्टीटूशनल जर्नी ऑफ ए सेंडविच सिविलाइजेशन का विमोचन किया गया।इस मौके पर केके.मुहम्‍मद ने कहा कि भारत की अमूल्‍य विरासत और गौरवशाली इतिहास को समझना बेहद जरूरी है।

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Book Release: इतिहास के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को सराहा

इस मौके पर मुख्‍य वक्‍ता पदमश्री केके.मुहम्‍मद ने कहा कि इतिहास के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य बेहद प्रशंसनीय हैं।इस दौरान उन्‍होंने प्रदेश में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को साझा किया और चंबल घाटी में सहेजी गई विरासतों पर बात की।

उन्‍होंने इन विरासतों को सहेजने में शासन से सहयोग की अपील भी की। इस दौरान अयोध्‍या में निर्माणाधीन राम मंदिर को लेकर कहा कि बाबरी मस्जिद की खुदाई के दौरान यहां हिंदू प्रतीकों के साथ 12 स्‍तंभ मिले थे। टेराकोटा की मूर्तियां भी मिलीं थी, जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि मस्जिद से पहले यहां एक मंदिर मौजूद था।भारत में मंदिर-मस्जिदों को लेकर लोगों में कई द्वंद और समस्‍याएं हैं, जिनका हल शांति के साथ बैठकर निकाला जा सकता है।

Book Release: इतिहास दर्पण का कार्य करता है

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Book Release: कार्यक्रम के दूसरे मुख्‍य वक्‍ता और सबरीमाला मंदिर का केस लड़ने वाले जे.साई ने इतिहास युवा के लिए आवश्‍यक क्‍यों विषय पर अपने विचार रखे। उन्‍होंने कहा कि भारत के इतिहास को समझने के लिए फाउंडेशन की यह पहल बहुत अच्‍छी है,लेकिन हमारे इतिहास को समृद्ध करने की दिशा में राजनीतिक हस्‍तक्षेप ठीक नहीं है।कहा कि, इतिहास दर्पण का कार्य करता है।

इस दौरान उन्‍होंने मध्‍य प्रदेश में उगाए जाने वाले बासमती चावल पर अन्‍य राज्‍यों के हक का उदाहरण पेश करते हुए युवाओं को इतिहास और प्रोपेगेंडा के बीच का अर्थ समझाया।कहा कि अयोध्‍या मंदिर के केस के दौरान कई बातें उजागर हुईं और कुछ दब गईं। मंदिर अपने आप गिरा या गिराया गया, इसका जवाब नहीं मिला।चेन्‍नई में एक शिव मंदिर और चर्च को लेकर बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि सच को स्‍वीकारना और सच बोलना दोनों में अंतर होता है। इतिहास की भूमिका फूट फैलाना नहीं, किसी को झूठ भी नहीं फैलाना चाहिए।इतिहास दर्पण का कार्य करता है। उन्‍होंने युवाओं से इतिहास को पढ़ने और जानने का आग्रह भी किया।

Book Release: एक कमरे में बैठकर नहीं समझ सकते इतिहास

इस मौके पर पदमश्री प्रो.कपिल तिवारी ने भारतीय इतिहास को परिभाषित करते हुए कहा कि भारत को समझने से पहले खुद को समझना और अपनी परंपरा को समझना जरूरी है।आजकल लोग एक कमरे में बैठकर अपने इतिहास और विरासत को समझ नहीं सकते। बाहरी माहौल में जाने की बजाय लाइब्रेरी में बैठकर तथ्‍यों को जानना और समझना चाहते हैं।

इतिहास जीवन की एक खोज है। उन्‍होंने स्‍वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए युद्ध और झांसी की रानी का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी हिंदी इतिहासकार ने ये जानने की कोशिश नहीं की, कि हरबोले कौन थे।ईसा के पूर्व का समय हमारे लिए पौराणिक और बाद का समय इतिहास है। पश्चिमी विचारधारा पर तंज कसते हुए कहा कि मुस्लिम शासकों को हमारे देश में ज्‍यादा महत्‍व दिया गया। इस मौके पर इतिहासका सुरेश मिश्रा के साथ उनके अनुभवों को भी साझा किया।

Book Release: इतिहास मुर्दा कहानियां का कब्रिस्‍तान नहीं

इस मौके पर राज्‍य सूचना आयुक्‍त विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि इतिहास महज मुर्दा कहानियों का कब्रिस्‍तान नहीं है, जिंदा कहानियों का संग्रह है।जोकि हमारे जिंदा होने का सबूत है।उन्‍होंने भारतीय इतिहास के परिप्रेक्ष्‍य में इंजीनियर अलेक्‍जेंडर कनिंघम और कारोबारी जेम्‍स फग्‍यू्र्सन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्‍होंने भारत के पुरातत्‍व के लिए बहुत काम किया है।

फग्‍यू्र्सन ने भारत के मंदिरों की वास्‍तुकला को समझने के लिए काफी समय दिया और महत्‍वपूर्ण जानकारियां हासिल कीं।इस मौके पर विभिन्‍न महाविद्यालयों से बड़ी संख्‍या में छात्र-छात्राएं और इतिहास में रुचि रखने वाले शिक्षाविद एवं प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे। इस दौरान मुख्‍य वक्‍ताओं ने छात्रों के द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए। कार्यक्रम के अंत में फांउडेशन की सदस्‍य प्रियंका मिश्रा ने आभार व्‍यक्‍त किया।

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