मृदुला गर्ग: एक ऐसी लेखिका जिन्हें उनके उपन्यास के लिए किया गया था गिरफ्तार, आज है जन्मदिन

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Mridula Garg: एक ऐसी लेखिका जिन्हें उनके उपन्यास के लिए किया गया गिरफ्तार, आज है जन्मदिन
Mridula Garg: एक ऐसी लेखिका जिन्हें उनके उपन्यास के लिए किया गया गिरफ्तार, आज है जन्मदिन

Mridula Garg: हिंदी की जानी मानी लेखिका मृदुला गर्ग का आज जन्मदिन है। मृदुला गर्ग अपने साहित्य में सामाजिक मुद्दों को उठाने और यथार्थ का चित्रण करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने आज ही के दिन साल 1938 में जन्म लिया था। मृदुला गर्ग की बचपन से ही हिंदी साहित्य में दिलचस्पी थी। मृदुला गर्ग की खास बात ये है कि वे महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव के बारे में खुलकर अपनी बात रखती हैं और नये विषयों को छूने से संकोच नहीं करती हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और व्यास सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

मृदुला गर्ग के घर में शुरू से ही पढ़ने-लिखने का माहौल था। मृदुला गर्ग बताती हैं, ”अगर हमारे घर में कभी खाना खराब बनता था तो समझ लिया जाता था कि हमारी मां कोई बेहतरीन नॉवेल पढ़ रही हैं।” मृदुला गर्ग के पिता उन्हें बचपन में शेक्सपियर की कविताएं सुनाया करते थे। साहित्य में अश्लील जैसा कुछ नहीं होता, ये समझ उन्हें उनके पिता से मिली थी।

Mridula Garg: एक ऐसी लेखिका जिन्हें उनके उपन्यास के लिए किया गया गिरफ्तार, आज है जन्मदिन
Mridula Garg:

मृदुला गर्ग की पहली कहानी साल 1972 में छपी थी। कहानी का नाम था रुकावट। मृदुला गर्ग बताती हैं कि उनकी कई सारी कहानियां सारिका पत्रिका में छपी थीं। मृदुला गर्ग का पहना उपन्यास ‘उसके हिस्से की धूप’ साल 1975 में छपा था। मृदुला गर्ग कहती हैं कि नजरिया स्त्री पुरुष होने पर निर्भर नहीं करता, नजरिया निर्भर करता है कि आप बतौर व्यक्ति कितने संवेदनशील हैं।

1979 में ‘चित्तकोबरा’ छपा तो मृदुला गर्ग का काफी विरोध हुआ। इस पर मृदुला गर्ग कहती हैं कि जो लोग प्रेम नहीं कर सकते वे ही ऐसी रचनाओं का विरोध करते हैं। इस उपन्यास के लिए मृदुला गर्ग की गिरफ्तारी भी हुई थी। इस उपन्यास को लेकर मृदुला गर्ग कहती हैं कि उन्हें यह लिखना जरूरी लगा इसलिए उन्होंने लिखा।

मृदुला गर्ग को लेकर लेखिका नासिरा शर्मा कहती हैं कि मृदुला गर्ग की जबान कहानी की जबान है। उनकी भाषाई समझ बहुत अच्छी है। मृदुला गर्ग ने 1976 में वंशज लिखा, 1980 में अनित्य लिखा, 1984 में ‘मैं और मैं’, 1996 में कठगुलाब और 2009 में मिलजुल मन लिखा।

Mridula Garg: एक ऐसी लेखिका जिन्हें उनके उपन्यास के लिए किया गया गिरफ्तार, आज है जन्मदिन
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मृदुला गर्ग की बहन एक किस्सा बताती हैं, ‘ जिस दिन देश की आजादी का जश्न मनाया जा रहा था उस दिन पूरा परिवार घर से बाहर गया और मृदुला और उनके पिता घर पर रहे। मृदुला रोती रहीं कि उन्हें बाहर जाना है लेकिन उनके पिता ने कहा कि रोने से कुछ नहीं होगा और किताब थमायी। मृदुला गर्ग ने रोना बंद किया और किताब पढ़ने लगीं।’

मृदुला गर्ग का उपन्यास ‘कठगुलाब’ स्त्री यौन हिंसा से जुड़ा उपन्यास है। मृदुला गर्ग कहती हैं कि पुरुषों को ये सिखाये जाने की जरूरत है कि औरतें भी इंसान हैं। मां, बहन, बेटी के अलावा मनुष्य के तौर पर उनकी एक पहचान है। मृदुला गर्ग के लेखन की खास बात ये मानी जाती है कि भले ही वह स्त्रियों पर लिखती हों लेकिन उनके किरदार पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मृदुला गर्ग ने गद्य में न सिर्फ उपन्यास नहीं लिखे बल्कि उन्होंने कहानियां, नाटक, व्यंग्य, संस्मरण भी लिखे हैं।

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