Book Review: हिंदुस्‍तान की आत्‍मा यहां के गांवों में बसती है, इसी का बखूबी विवरण मिलेगा ‘ऐसे थे हमारे भारत के गांव’ किताब में

Book Review : पूरी किताब जल, जंगल और गांवों की हर खासियत का बड़ी ही आत्‍मीयता के साथ वर्णन किया है।लेखक ने किताब के जरिए ये बताने का प्रयास किया है कि वन पृथ्‍वी पर जीवन जीने के लिए बेहद आवश्‍यक हैं।

0
202
book Review: News on Aise the hamare Bharat ke gaon
Book Review

Book Review: जीवट और संतोष से भरे हुए इंसानी चेहरे, हरेभरे खेत, खलिहान यही वजह है कि आज भी हिंदुस्‍तान की आत्‍मा यहां के गांवों में बसती है। वन मानव जीवन के लिए प्रकृति का अनुपम उपहार हैं। सौंदर्य रस का भंडार और धरती मां की श्रृंगार। मनुष्‍य यहां पला, बढ़ा और इन्‍हीं पर निर्भर हो गया।

प्राचीनकाल से ही वन मनुष्‍य के जीवन में विशेष महत्‍व रखते हैं। इन्‍हीं वनों और गांवों के महत्‍व को देखते हुए लेखक विष्‍णु मित्‍तल ने अपनी किताब ऐसे थे भारत के गांव को लिखा है। उन्‍होंने अपनी पूरी किताब जल, जंगल और गांवों की हर खासियत का बड़ी ही आत्‍मीयता के साथ वर्णन किया है।लेखक ने किताब के जरिए ये बताने का प्रयास किया है कि वन पृथ्‍वी पर जीवन जीने के लिए बेहद आवश्‍यक हैं। इसमें पेड़-पौधे ही नहीं बल्कि अनेक औषधियां और संसाधन हमें मिलते हैं।

Book Review: top news hindi on Aise the hamare bhart ke gaon book.
Book Review.

Book Review: विदेशी आक्रांताओं ने पहुंचाया नुकसान

बात अगर पूरे भारत भूभाग की करें तो जंगल यहां लगभग एक-चौथाई भाग में फैले हैं। एक समय ऐसा भी था जब यहां 50 प्रतिशत भूभाग वनों से ढका हुआ था लेकिन विदेशी आक्रांताओं को भारत की यह समृद्धि रास नहीं आई। उन्‍होंने पेड़ों और संसाधनों का अंधाधुंध तरीके से दोहन किया। ऐसी खराब नीतियां बनाईं कि वनवासी ही जंगल में नहीं जा सके। जबकि वनों के असली रक्षक और पोषक भी वही थे, आज भी हैं। उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी जंगलों की जड़ों में गहरी समाईं हैं।
वनों को बनाने और सहेजने में हमारे ऋषि मुनियों के योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता है। इको सिस्‍टम के लिए बहुत से घने वनों को देववन की श्रेणी में रखा था। इसी क्रम में एक गोत्र को पेड़ की एक प्रजाति की जिम्‍मेदारी सौंपी गई।ताकि सभी प्रजातियों की स्‍वयमेव रक्षा होती रहे। यही वजह है कि देश में कहीं इन्‍हें देववन कहा जाता है तो कहीं देवराई, तो कहीं ओरण।

Book Review: सैकड़ों वन्‍य जीवों के आश्रय स्‍थल हैं ‘वन’

ये जंगल, ओरण, गांव के वन मंदिर लोक देवी-देवताओं के नाम पर छोड़े जाते हैं। कहीं तो मीलों तक फैले हुए ये जंगल सैकड़ों वन्‍य जीवों के आश्रय स्‍थल हैं। कहीं इंसानों के लिए बेहद खास। उन्‍हें भोजन से लेकर संसाधन प्रदान करते हैं। बिना किसी कानून के भय के कोई इनका तिनका तक नहीं उठाता। उर्वरा मिटटी की सौंधी खुशबू, ओरण का खुशनुमा माहौल यहां के जीव-जंतुओं को बेहद सुकून देता है। ग्रामीण यहां आकर देवदर्शन के साथ जाने-अनजाने पापों की क्षमा भी मांगते हैं।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here