देश के वीर सपूत और बीजेपी कैबिनेट में पूर्व वित्तमंत्री, रक्षामंत्री और विदेशमंत्री रहे जसवंत सिंह जसोल का 27 सितम्बर 2020 को निधन हो गया। इस खबर से राजनेताओं में शोक की लहर है।

निधन की खबर सुनते ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर के शोक व्यक्त किया है, “पीएम ने कहा कि अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा और विदेश मामलों की दुनिया में एक मजबूत छाप छोड़ी. उनके निधन से दुखी हूं।”

जसवंत सिंह ने 1960 में सेना में मेजर के पद से इस्तीफा दे दिया और फिर उतर गए राजनीति में जसवंत सिंह बीजेपी के नेताओं में से एक हैं जिसे वित्तमंत्री, रक्षामंत्री और विदेशमंत्री बनने के मौका मिला।

वे 16 मई 1996  से 1 जून 1996 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री रह चुके हैं। 5 दिसम्बर 1998 से 1 जुलाई 2002 के दौरान वे वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री बने। फिर साल 2002 में यशवंत सिन्हा की जगह वे एकबार फिर वित्तमंत्री बने और इस पद पर मई 2004 तक रहे। वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने बाजार-हितकारी सुधारों को बढ़ावा दिया।

वे स्वयं को उदारवादी नेता मानते थे। 15वीं लोकसभा में वे दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से  सांसद चुने गए।

जसवंत सिंह को लोग जसवंत सिंह जसोल के नाम से भी जानते हैं। इनका जन्म 3 जनवरी 1938 को हुआ था, वे राजस्थान में बाड़मेर जिले के जसोल गांव के रहने वाले थे। महज 15 पंद्रह साल की उम्र में जसवंत भारतीय सेना में शामिल हो गए थे।

ऐसा कहा जाता है कि जसवंत सिंह जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह के काफी करीब थे। इतना ही नहीं जसवंत सिंह का राजनीतिक करियर कितना सफल रहा आप इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इन्हें 2001 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का संम्मान भी मिल चुका है।

हालांकि इस दौरान इनके राजनीतिक जीवन में काफी उथल-पुथल भी मची। लोकसभा चुनाव 2014 में राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमैर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से भाजपा द्वारा टिकट नहीं मिलने पर इन्होंने बगावत छेड़ दी और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। उन्हें इस बगावत के कारण छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था।

साथ ही जसवंत सिंह की 19 अगस्त 2009 में जिन्ना इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस नाम की एक किताब आई थी जिसमें उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पेटल की जम के आलोचना की थी। इस कारण भी इन्हे पार्टी ने निकला दिया था। फिर समय के साथ वापस भी बुला लिया।

वहीं कंधार विमान अपहरण कांड के वक्त जसवंत सिंह विदेश मंत्री थे। इस समय भी विपक्ष ने जमकर इनकी आलोचना की थी। 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को हाईजैक कर लिया था। इसमें 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे। आतंकियों के चंगुल से यात्री को छुड़ाने के लिए सरकार ने समझौता किया और आतंकियों को छोड़ दिया जो आज मसूद अजहर के नाम से जाना जाता है।

देश के बड़े राजनेता लगातार ट्वीट कर के शोक व्यक्त कर रहें हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट कर के दुख जताया है। उन्होंने लिखा, “जसवंत सिंह ने राजस्थान में बीजेपी की सत्ता स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। आप को राजनीतिक चाणक्य के रूप में सदैव याद किया जाएगा।”

बता दे कि इनका निधन 82 साल की उम्र में हुआ है। लंबे समय से बीमार थे और कोमा में थे। जसवंत सिंह ने राजनीतिक यात्रा में पड़ोसी देशों से रिश्ते को सुधारने की कई कोशिशे की पर इनका ये सपना अधूरा रहा गया।

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