
साल 2019 में बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद Uddhav Thackeray की पार्टी ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अपनी सरकार बनाई थी। अपने सीएम पद के 2.5 साल के कार्यकाल में उद्धव ठाकरे को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उनका कार्यकाल शुरू होने के कुछ समय बाद से ही कोरोना महामारी शुरू हो गई। देश में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले महाराष्ट्र से ही आ रहे थे। ऐसी ही कई चुनौतियों का सामना करते हुए उद्धव ठाकरे अपने पद पर बने हुए हैं। कुछ ऐसे मामलों पर नजर डालते हैं जिसका Uddhav Thackeray सरकार ने सामना किया है।
कोविड-19 महामारी
Uddhav Thackeray के सीएम पद संभालने के मात्र 4 महीने बाद ही कोरोना ने देश में दस्तक दे दी थी। इससे महाराष्ट्र में काफी ज्यादा हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति पैदा हो गई थी। मई 2020 में महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा कोविड हॉटस्पॉट बन गया था। इसके बाद काफी लंबे समय तक प्रदेश को इस परेशानी से निपटना पड़ा था जो ठाकरे सरकार के लिए आसान न था।

गवर्नर के साथ रिश्ते
Uddhav Thackeray की सरकार में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अक्सर प्रदेश की ओर से लिए गए फैसले का विरोध करते हुए देखा गया है। इनमें से एक मामला है कोरोना के बाद प्रदेश में मंदिर खोलने को लेकर था। राज्यपाल ने सीएम को पत्र लिखकर कहा था कि आखिर अब तक मंदिर क्यों नहीं खोले गए हैं, क्या उन्होंने अपना धर्म बदल लिया है? इसके जवाब में Uddhav Thackeray ने कहा था कि वो वहीं काम करेंगे जो जनता के लिए सही होगा, प्रदेश के मंदिर 16 नवंबर से खुलेंगे। ऐसे ही और भी कई मामले हैं जिसको लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यरी और Uddhav Thackeray के बीच तनातनी बनी रही।

पालघर मामला
Uddhav Thackeray की सरकार में अप्रैल 2020 में हुए पालघर मामले में ठाकरे सरकार की काफी आलोचना की गई थी। दरअसल, वहां पर दो साधुओं की लिंचिग की गई थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। बीजेपी का आरोप था कि यह घटना सोची-समझी साजिश है, जिसके बाद सरकार ने इस मामले को CID को सौंप दिया था। इसके बाद 101 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और 18 पुलिसवालों के खिलाफ भी एक्शन लिया गया था।

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड का मामला
जून 2020 में ही बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की डेड बॉडी मिलने के बाद बीजेपी और पूर्व सीएम नारायण राणे ने ठाकरे सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, अब तक लोगों का कहना है कि सुशांत सिंह को इंसाफ नहीं मिला है और कुछ लोगों ने मान लिया है कि सुशांत ने सुसाइड ही किया था।

अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी
पालघर में हुए साधुओं के लिंचिंग के बाद टीवी जर्नलिस्ट अर्नब गोस्वामी ने जमकर उद्धव ठाकरे पर निशाना साथा था। इसके बाद से ही दोनों में तनातनी चल रही थी। लेकिन यह तब और ज्यादा बढ़ गया जब पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को उनके घर से गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया था। उस समय सोशल मीडिया पर कई तरह की खबरें देखने को मिल रही थी। अर्नब के समर्थकों का कहना था कि Uddhav Thackeray ने अपना बदला लेने के लिए अर्नब को गिरफ्तार करवाया है।

कंगना ने साधा था Uddhav Thackeray पर निशाना
कुछ दिनों पहले शिवसेना के साथ जुबानी जंग के बीच बीएमसी ने कंगना रनौत के दफ्तर को अवैध बताते हुए उसमें तोड़फोड़ की थी। बता दें कि बॉम्बे हाइकोर्ट ने इस पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इस तोड़फोड़ को लेकर कंगना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री Uddhav Thackeray पर निशाना साधा था।

पार्टी के विधायक के खिलाफ एक्शन
28 फरवरी, 2022 को एक पुणे में एक 28 साल की महिला ने सुसाइड किया था जिसकी जांच करने पर पुलिस को एक ऑडियो क्लिप मिली थी। इस ऑडियो क्लिप में संजय राठौड़ का नाम था जो उस समय ठाकरे सरकार में फॉरेस्ट मिनिस्टर थे। ठाकरे सरकार को उनके खिलाफ एक्शन लेना पड़ा ताकि पार्टी की छवि को कोई बुरा असर न पड़े।
स्पीकर चुनाव
सभा स्पीकर चुनाव के समय भी Uddhav Thackeray को चुनौती का सामना करना पड़ा था। 16 फरवरी को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यरी ने इस चुनाव करने को कहा था लेकिन ठाकरे ने इसे 1 मार्च से 10 मार्च तक के बीच में होने वाले बजट सत्र के दौरान कराने से मना कर दिया था।
आरे मिल्क कॉलोनी और कार शेड
11 अक्टूबर, 2020 को Uddhav Thackeray ने मुंबई मेट्रो नेटवर्क की मेट्रो 3 लाइन के लिए आरे मिल्क कॉलोनी के विवादास्पद कार शेड को खत्म करने की घोषणा की थी जो मुंबई के कुछ हरे-भरे स्थानों में से एक है। साथ ही ठाकरे सरकार की ओर से कहा गया था कि कांजुरमार्ग में मेट्रो डिपो भी बनाया जाएगा। लेकिन ठाकरे सरकार के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को खारिज कर दिया था।

आर्थिक गिरावट
कोरोना के कारण राज्य को भारी आर्थिक गिरावट का सामना करना पड़ा था। राज्य की अर्थव्यवस्था को दोबारा पहले की तरह खड़ा करना ठाकरे सरकार के लिए एक कठिन चुनौती है। चूंकि केंद्र सरकार एमवीए सरकार के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाती है, इसलिए यदि Uddhav Thackeray को समय पर केंद्र से आर्थिक मदद नहीं मिलेगी तो यह उनके लिए और ज्यादा परेशानी खड़ा कर सकता है।
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