केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के चलते बंंद सड़कों के मामले में Solicitor General of India तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने Supreme Court से कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए कमेटी की बैठक बुलाई गई है लेकिन किसान यूनियन की तरफ से कोई भी समिति बैठक में भाग लेने नहीं आ रही है।
नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल (Monika Agarwal) की जाम सड़क के कारण रोजना आने-जाने में देरी होने की शिकायत वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि राजमार्गों को हमेशा के लिए बंद नहीं किया जा सकता है। न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि मुद्दों को अदालत या संसद में चर्चा के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
सरकार इस मामले को सुलझाए : SC
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कौल ने केंद्र, हरियाणा, यूपी और दिल्ली की सरकारों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर पहले ही कानून बना दिया है और कानून का पालन करना आपका कर्तव्य है और किसानों को बॉर्डर से हटाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार को जरूरी कदम उठाने चाहिए। पिछले साल शाहीन बाग विरोध से संबंधित एक मामले में न्यायमूर्ति कौल की पीठ ने एक निर्णय में कहा था कि विरोध के नाम पर सार्वजनिक सड़कों को बंद नहीं किया जा सकता है और विरोध केवल निर्दिष्ट स्थानों पर ही होना चाहिए।
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बात करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने शामिल होने से मना कर दिया। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 4 अक्टूबर को करेगा।
यह याचिका नोएडा की मोनिका अग्रवाल ने दायर की थी, उन्होंने आरोप लगाया था कि वो अपनी मार्केटिंग नौकरी के लिए नोएडा से दिल्ली जाने में बहुत दिक्कत हो रही है क्योंकि जाम सड़क की वजह से उन्हें 20 मिनट के बजाय 2 घंटे लगते है।
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