प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलेट ट्रेन ड्रीम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। पीएम मोदी का बुलेट ट्रेन का सपना पटरी से उतरा गया है। क्योंकि जापान ने अपने हाथ खींच लिए है। प्रोजेक्ट की फंडिंग करने वाली जापानी कंपनी जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी यानी जीका ने बुलेट ट्रेन नेटवर्क के लिए फंडिग रोक दी है। जापानी कंपनी ने मोदी सरकार से कहा है कि इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने से पहले उसे देश में किसानों की समस्या पर पहले गौर करने की जरूरत है।

एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन योजना के निर्माण में गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों से जमीन अधिग्रहण का मामला विवादों में पड़ रहा है। दरअसल 508 किलोमीटर की बुलेट ट्रेन परियोजना में लगभग 110 किलोमीटर का सफर महाराष्ट्र के पलघर से गुजरता है और केन्द्र सरकार को यहां के किसानों से जमीन लेने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। वहीं गुजरात में भी सरकार को लगभग 850 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण आठ जिलों में फैले 5000 किसान परिवारों से करना है। इस विवाद को देखते हुए केन्द्र सरकार ने एक स्पेशल कमिटी का गठन किया है। जापानी एजेंसी ने अभीतक महज 125 करोड़ रुपये जारी किए हैं। भारत और जापान के बीच हुए समझौते के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा करने के लिए जापान को लगभग 80,000 करोड़ रुपये का निवेश करना है जबकि बचा हुआ 20,000 रुपये केन्द्र सरकार योजना में लगाएगी।

जीका जापान सरकार की एजेंसी है और वो जापान सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक-आर्थिक नीतियों का निर्धारण करती है। वहीं नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड को भारत में बुलेट ट्रेल प्रोजेक्ट का जिम्मा मिला है। अब फंडिंग रोकने के जापान के फैसले के बाद नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के पास इस प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने के लिए विकल्प की कमी है। इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है जो फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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