Supreme Court ने दिया आदेश, केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के ट्रस्ट का होगा ऑडिट

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Supreme Court ने आज एक अहम फैसले में कहा कि केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के ट्रस्ट का ऑडिट होगा। ट्रस्ट को ऑडिट में छूट नही दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि साल 2020 का फैसला मंदिर समिति ही नही ट्रस्ट पर भी लागू होगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने में ऑडिट पूरा करने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने तत्तकालीन ट्रावनकोर शाही परिवार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट के पिछले 25 साल के ऑडिट में छूट की मांग को अस्वीकार कर दिया। दरअसल, पद्मनाभस्वामी  मंदिर  गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है और मंदिर को मिल रहा चढ़ावा इसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रशासनिक समिति ने सुप्रीम कोर्ट को ये जानकारी दी है।

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प्रशासनिक समिति की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील आर बसंत ने कोर्ट को कहा कि केरल में सभी मंदिर बंद है, वहीं इस मंदिर का मासिक खर्च सवा करोड़ के आसपास है, जबकि फिलहाल चढ़ावे के तौर पर महज 60-70 लाख रुपये ही मिल पा रहे हैं। ऐसी सूरत में मंदिर का कामकाज सुचारू रूप से चलाना संभव नहीं है। लिहाज़ा ट्रस्ट के योगदान की भी ज़रूरत है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर के खातों के ऑडिट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना फैसला बीते हफ्ते सुरक्षित रख लिया था। बीते साल इस मंदिर के खजाने का ऑडिट कराने का आदेश दिया गया था लेकिन मंदिर ट्रस्ट ने ऑडिट से छूट पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 
 

क्या है इस मंदिर की कहानी?

ये मंदिर केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम में है और आज़ादी से पहले इस पर त्रावणकोर के राजा का अधिकार था। भारत की आज़ादी के बाद जब त्रावणकोर और कोचिन रियासतों को मिलाया गया तो दोनों के बीच मंदिर को लेकर समझौता हुआ। उसके हिसाब से इस मंदिर के प्रशासन का अधिकार मिला त्रावणकोर के आख़िरी शासक को, जिनका नाम था चिथिरा थिरूनल। जब 1991 में उनकी मृत्यु हुई तो उनके भाई उत्तरादम वर्मा को इसकी कस्टडी मिली। साल 2007 में उन्होंने दावा किया कि इस मंदिर का ख़ज़ाना उनके शाही परिवार की संपत्ति है।

इसके ख़िलाफ़ कई लोगों ने कोर्ट में मामला दायर किया. एक निचली अदालत ने मंदिर के कमरों को खोलने पर रोक लगा दी थी। लेकिन फिर 2011 में केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वो इस मंदिर के नियंत्रण के लिए एक ट्रस्ट बनाए। उसी साल शाही परिवार इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने इस फ़ैसले पर स्टे लगा दिया और कहा कि इस मंदिर के कमरों में जो मिलता है उसकी लिस्ट बनाई जाए।

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