Supreme Court: हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने की शक्ति केंद्र के पास है। इस संबंध में कोई भी फैसला राज्यों और अन्य हिस्सेदारों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद ही लिया जाएगा।
इस मामले पर राज्य सरकारों और अन्य पक्षकारों के साथ व्यापक विचार विमर्श करने की जरूरत है,क्योंकि इसका देशभर में दूरगामी असर होगा। बिना विस्तृत चर्चा के लिया गया कोई फैसला भविष्य में देश के लिए समस्या का कारण बन सकता है।

Supreme Court: 27 मार्च को भी दाखिल किया था हलफनामा

गौरतलब है कि 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा था कि राज्य सरकारें किसी भी धार्मिक या भाषाई समुदाय के आधार पर राज्य के अंदर अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए 1992 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम और 2004 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग अधिनियम का बचाव भी किया था।
हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के मामले पर जस्टिस कौल ने सरकार के जवाब में बदलाव पर कहा कि सरकार तय करने में सक्षम नहीं है, कि वह क्या करना चाहती है?
केंद्र को यह स्टैंड पहले ही दिया जाना चाहिए था। केंद्र का इस तरह से जवाब बदलना एक अनिश्चितता पैदा करता है। आप तय कीजिये कि आप क्या करना हैं? मामले पर केंद्र की तरफ से पास ओवर मांगे जाने पर जस्टिस कौल ने टिप्पणी करते हुए मामले को सुनवाई के लिए end of the board कर दिया।
मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के मुद्दे पर विभिन्न राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए तीन महीने का समय दिया।
संबंधित खबरें
- Supreme court: मध्य प्रदेश निकाय चुनाव पर SC का बड़ा फैसला, OBC आरक्षण के बिना चुनाव कराने का आदेश
- Supreme Court: ड्रग्स केस के आरोपी विक्रम मजीठिया की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, SC से नहीं मिली राहत