“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” का नारा देने वाले नेताजी Subhash Chandra Bose की जयंती, जानें नारे से पूरे देश को एकजुट करने वाले महान स्‍वतंत्रता सेनानी की कहानी

Subhash Chandra Bose : वर्ष 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी ने वहां अपना रुख बदला।देश की आजादी के लिए वह पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया।

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Subhash Chandra Bose ke bday ki khabar
Subhash Chandra Bose ke bday ki khabar

Subhash Chandra Bose: एक ऐसा स्वतंत्रता सेनानी जिसने अपने हर काम से अधिक प्राथमिकता दी थी राष्ट्र को।समर्पण, सेवा और कर्तव्‍यनिष्‍ठा के प्रतीक और अमर स्‍वतंत्रता सेनानी जिन्‍हें पूरा देश नेताजी के नाम से जानता है।आज पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती हर्षोल्‍लास के साथ मना रहा है। हर वर्ष 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है।उनकी याद में इस दिन को अब पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इन्‍हीं के दिए गए संदेश आज भी देश के हर बच्‍चे-बच्‍चे की जुबां पर है।’कदम-कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा, ये जिंदगी है कौम की, तू कौम पे लुटाए जा’। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा’।आज भी हर शख्स के अंदर जोश भर देते हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था।उनकी माता का नाम प्रभावती और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। वह बचपन से ही बेहद कुशाग्र बुद्धि के थे।उन्‍होंने मैट्रिक की परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त किया था।
जानकारी के अनुसार उनके परिवार में 7 भाई और 6 बहनें थीं। अपनी माता-पिता की वे 9वीं संतान थे,लेकिन वह अपने भाई शरदचन्द्र के बेहद निकट थे।अपनी स्कूल की पढ़ाई कटक से पूरी कर वह कलकत्ता चले गए। यहां के मशहूर प्रेसीडेंसी कॉलेज से फिलोसोफी में स्‍नातक की शिक्षा पूरी की। इसी कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर के द्वारा भारतीयों को सताए जाने से वह बहुत नाराज थे। वह अक्‍सर उसका विरोध भी करते थे।
सुभाष चंद्र बोस सिविल सर्विस ज्‍वाइन करना चाहते थे।हालांकि अंग्रेजों के शासन के चलते उस समय भारतीयों के लिए सिविल सर्विस पास करना बहुत मुश्किल होता था। उनके पिता ने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड भेजा।इस परीक्षा में नेता जी को चौथा स्‍थान प्राप्‍त हुआ।उन्‍होंने सर्वाधिक अंक इंग्लिश में प्राप्‍त किए।
वह स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे, वे उनकी द्वारा कही गई बातों का बहुत अनुसरण किया करते थे।देशप्रेम के जज्‍बे से भरे सुभाष चंद्र बोस 1921 में इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी को ठोकर मार स्‍वदेश लौट आए।

Subhash Chandra Bose ki khabar
Neta ji Subhash Chandra Bose Bday today.

Subhash Chandra Bose : नेताजी का राजनीतिक जीवन

Subhash Chandra Bose ki badi news
Subhash Chandra Bose.

Subhash Chandra Bose: स्‍वदेश वापस आते ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े।वह चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। वर्ष 1922 में चितरंजन दास ने मोतीलाल नेहरू के साथ कांग्रेस छोड़ अपनी अलग स्वराज पार्टी की स्‍थापना की।साल 1928 में गुवाहाटी में आयोजित कांग्रेस की एक बैठक के दौरान नए और पुराने सदस्‍यों के बीच मतभेद उत्पन्न हुआ।
नए युवा नेता किसी भी नियम पर नहीं चलना चाहते थे, वे स्वयं के हिसाब से चलना चाहते थे।यहां पर सुभाषचंद्र और महात्‍मा गांधी के विचार बिल्कुल अलग थे।
वर्ष 1939 में नेता जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए खड़े हुए, इनके खिलाफ गांधीजी ने पट्टाभि सिताराम्या को खड़ा किया गया। जिसने नेताजी ने हरा दिया।नेताजी ने अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया। उन्होंने खुद कांग्रेस छोड़ दी।

Subhash Chandra Bose : जब मिले एडोल्‍फ हिटलर से

Subhash Chandra Bose: वर्ष 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी ने वहां अपना रुख बदला।देश की आजादी के लिए वह पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया।जेल में लगभग 2 हफ्तों तक उन्होंने ना खाना खाया ना पानी पिया।उनकी बिगड़ती हालत को देख देश में नौजवान उग्र होने लगे। उनकी रिहाई की मांग तेज होने लगी।तत्‍कालीन सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबंद किया।इस दौरान 1941 में नेताजी अपने भतीजे शिशिर की मदद ने वहां से भाग निकले।सबसे पहले वे बिहार के गोमाह गए, वहां से वे पाकिस्तान के पेशावर जा पहुंचे। इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए, जर्मनी पहुंचे। जहां वे एडोल्फ हिटलर से भी मिले।

नेताजी दुनिया के बहुत से हिस्सों में घूम चुके थे।देश दुनिया की उन्हें अच्छी समझ थी।इसी दौरान उन्हें चला कि हिटलर और पूरा जर्मनी का दुश्मन इंग्लैंड था।अंग्रेजों से बदला लेने के लिए उन्हें ये कूटनीति अपनाते हुए दुश्मन को दोस्त बनाना उचित लगा। इसी दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एमिली से शादी कर ली।जिसके साथ में बर्लिन में रहते थे, उनकी एक पुत्री भी है जिसका नाम अनीता बोस है।

Subhash Chandra Bose : आजाद हिन्द फौज का पुनर्गठन किया

Subhash Chandra Bose's daughter Anita Bose news
Subhash Chandra Bose’s daughter Anita Bose.

1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया यानी जापान पहुंच गए। यहां वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिन्द फौज प्रमुख थे।नेताजी ने मोहन सिंह और रासबिहारी बोस के साथ मिलकर ‘आजाद हिन्द फौज का पुनर्गठन किया।

नेताजी ने ‘आजाद हिन्द सरकार’ पार्टी का भी गठन किया।1944 में नेताजी ने आजाद हिन्द फौज को बुलंद नारा दिया। ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ नारा दिया, जिसने भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी नई क्रांति का संचार किया।

साल 1945 में जापान यात्रा के दौरान नेताजी का विमान ताईवान में क्रेश हो गया, लेकिन इस हादसे में उनकी बॉडी बरामद नहीं की जा सकी।कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।हालांकि भारत सरकार ने इस दुर्घटना की जांच के लिए बहुत सी जांच कमिटी भी बैठाईं, लेकिन आज भी नेताजी की मौत एक रहस्‍य बनी हुई है।
मई 1956 में शाह नवाज कमिटी नेता जी की मौत की गुथी सुलझाने जापान गई, लेकिन ताईवान ने मदद नहीं की। साल 2006 में मुखर्जी कमीशन ने संसद में बताया कि उनकी मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। उनकी अस्थियां जो रेंकोजी मंदिर में रखीं हुईं हैं, वे उनकी नहीं हैं।’ लेकिन इस बात को भारत सरकार ने खारिज कर दिया। इस बात पर जांच और विवाद आज भी जारी है।

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