सिमी सरगना सफ़दर नागौरी समेत 11 आतंकियों को इंदौर के स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। नागौरी और उसके साथियों के खिलाफ देशद्रोह और अवैध हथियार रखने का आरोप था। इन सभी सिमी आतंकियों को 27 मार्च 2008 में इंदौर के श्याम नगर से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के वक्त इनके पास से भारी मात्रा में ख़तरनाक हथियार, नक्शे और देश विरोधी लिटरेचर मिला था। इन आतंकियों ने चोरल के पास एक फार्म हाउस में एक ट्रेनिंग कैंप भी लगाया था।

इंदौर के स्पेशल कोर्ट के जज बीके बलौदा ने सोमवार को इन सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। बीते शुक्रवार को अभियोक्ता विमल मिश्रा ने नागौरी सहित सभी आरोपियों से 334 सवाल किए थे। जिसके बाद कोर्ट ने 27 फरवरी को उम्रकैद की सजा सुना दी। कोर्ट ने इन आरोपियों को सेक्शन 124 के तहत देशद्रोह का दोषी माना है।

विमल मिश्रा ने बताया कि इन आरोपियों ने आग्रह किया था कि केस का फैसला उनकी मौजूदगी में ना सुनाया जाए। जिस दिन कोर्ट फैसला सुनाएगी उस दिन उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराई जाए। गुरुवार को कोर्ट ने आरोपियों से पूछा कि क्या यह पत्र उन्होंने खुद लिखा है? आरोपियों के पत्र लिखने की बात स्वीकार करने के बाद फैसले के वक्त आरोपियों को इंदौर कोर्ट नहीं लाया गया।

सिमी यानी स्टूडेंट इस्लामी मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का कर्ताधर्ता सफदर नागौरी सिर्फ भारत में ही एक्टिव नहीं था। यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल कायदा और पाकिस्तान में एक्टिव जमायते इस्लामी के भी संपर्क में था। नागौरी को शाहिद बद्र फलाही की जगह सिमी का मुखिया बनाया गया था। इसके बाद सिमी का नाम मुबंई और अजमेर हमले में भी सामने आया था। नागौरी को जब पकड़ा गया था उस वक्त वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के परमाणु ठिकानों को उड़ाने की साजिश रच रहा था।

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