केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कांग्रेस के इस दावे पर पलटवार किया कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और जवाहरलाल नेहरू द्वारा ‘सेंगोल’ को अंग्रेजों द्वारा भारत में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है। बीजेपी के कई शीर्ष नेताओं और मंत्रियों ने भी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने की घोषणा के लिए हमला बोला।
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? पंडित नेहरू को तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में एक पवित्र सेंगोल दिया गया था। शाह ने कांग्रेस पर सेंगोल के इतिहास को “फर्जी” कहने का आरोप लगाते हुए कहा कि थिरुवदुथुराई अधीनम ने खुद भारत की आजादी के समय सेंगोल के महत्व के बारे में बताया था।
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जो पार्टियां नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार कर रही हैं, वे एक परिवार की पार्टियां हैं। जिनके राजशाही तरीके हमारे संविधान में गणतंत्रवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ हैं। नड्डा ने कहा कि बहिष्कार संविधान के निर्माताओं का अपमान है।
मालूम हो कि 28 मई को पीएम मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का 25 राजनीतिक दल बहिष्कार कर रहे हैं जबकि 20 दल शामिल हो रहे हैं।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके समर्थक तमिलनाडु में अपने राजनीतिक फायदे के लिए राजदंड का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू द्वारा इस राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।
गौरतलब है कि विपक्ष का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम की बजाय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए।