Ramabai Ambedkar: 7 फरवरी 1898 को डॉ. भीमराव अंबेडकर की पत्नी रमाबाई का जन्म हुआ था। रमाबाई को त्याग, बलिदान और साहस की प्रतीक माना जाता है। इसलिए 7 फरवरी को रमाबाई अंबेडकर की जयंती मनायी जाती है। रमाबाई अंबेडकर ,संविधान निर्माता और भारत के पहले कानून मंत्री बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पत्नी थीं। रमाबाई अंबेडकर ने Dr. Bhim Rao Ambedkar(बाबा साहेब ) का कदम-कदम पर साथ निभाया था। बता दें कि रमाबाई अंबेडकर का विवाह 9 वर्ष की आयु में बाबा साहेब से हुआ था। उस समय भीमराव अंबेडकर 14 वर्ष के थे।
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Ramabai Ambedkar को प्यार से ‘रामू’ कहकर बुलाते थे बाबा साहेब
बाबा साहेब के जीवन में उनकी पत्नी रमाबाई का बहुत महत्व था। रमाबाई उनकी पहली पत्नी थी। बाबा साहेब अपनी पत्नी रमाबाई को पूजनीय मानते थे। वह अपनी पत्नी को प्यार से ‘रामू’ कहकर बुलाते थे। रमाबाई ने हर संघर्ष में अपने पति डॉ. अंबेडकर का पूरा साथ दिया है। माता रमाबाई अंबेडकर दूसरों के घरों में काम करके बाबा साहेब की शिक्षा का खर्च जुटाने में मदद करती थीं।
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बाबा साहेब ने ‘बहिष्कृत भारत’ के एक संपादकीय में बताया है कि उनके पास परिवार के लिए समय नहीं होता था तब रमाबाई ने ही पूरे परिवार का ख्याल रखा। गृहस्थी का सारा बोझ रमाबाई ने अकेले उठाया। जब बाबा साहेब जग सुधार में जुटे थे तब रमाबाई ने परिवार का मोर्चा संभाला था। जीवन के संघर्ष में उनके और बाबासाहेब के पांच बच्चों में से केवल एक यशवंत अंबेडकर ही जीवित रहे थे। रमाबाई को लंबे समय तक भूखे और आधा पेट खाना खाकर जीना पड़ा था। चार बच्चों की मृत्यु से वह पूरी तरह टूट चुकी थीं।
कब हुआ माता रमाबाई आंबेडकर का देहांत?
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जीवन संषर्घ के इस कठिन दौर में रमाबाई का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था। लंबे समय के संघर्ष के बाद 27 मई 1935 को रमाबाई बाबा साहेब को हमेशा के लिए छोड़ कर चली गईं। रमाबाई की मृत्यु पर बाबा साहेब फूट-फूट कर रोए थे। बता दें कि रमाबाई की मृत्यु से एक रात पहले ही अंबेडकर विदेश से लौटे थे। पत्नी रमाबाई के समर्पण और साथ को याद करते हुए डॉ. अंबेडकर ने ‘बहिष्कृत भारत’ के संपादकीय में उन्हें पूजनीय कहा था।
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