ओमप्रकाश राजभर ने मंगलवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के साथ मुलाकात की है। माना जा रहा कि ओमप्रकाश की सियासी मजबूरी है जबकि बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए राजभर समुदाय का वोट जरूरी है। इसके चलते दोनों ही एक दूसरे से दोबारा से हाथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की चुनावी बढ़ती सरगर्मियों के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की एक बार फिर से बीजेपी के साथ नजदीकियां बढ़ाने लगे है। ओमप्रकाश राजभर ने मंगलवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के साथ मुलाकात की है। पिछले 15 दिनों में राजभर बीजेपी के तीन बड़े नेताओं के साथ बैठक चुके हैं और ये माना जा रहा कि ओमप्रकाश की सियासी मजबूरी है जबकि बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए राजभर समुदाय का वोट भी जरूरी है।

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भागीदारी संकल्प मोर्चा का नेतृत्व कर रहे पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर पिछले कुछ समय से लगातार योगी सरकार और बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ हमलावर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से उनकी ये मुलाकात कई मायने में महत्वपूर्ण है। हालांकि, स्वतंत्र देव सिंह के आवास से निकलने के बाद ओम प्रकाश राजभर ने इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताते हुए कहा कि, इसे राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है।
बता दें कि ओमप्रकाश राजभर ने मई 2019 में बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित कई छोटी पार्टियों के साथ मिलकर जनाधिकार जनाधिकार संकल्प मोर्चा का गठन कर लिए थे। ओवैसी के चलते कोई भी बड़ी पार्टी भागीदारी मोर्चा में शामिल होने को तैयार नहीं हुई थी। 

सूबे के सियासी माहौल में वो बखूबी जानते हैं कि इस भागीदारी मोर्चा के दम पर सीटें जीतना कितना मुश्किल है, क्योंकि मुस्लिम वोटों की अभी भी पहली पंसद ओवैसी नहीं बल्कि अखिलेश यादव माने जाते हैं और राजभर वोटर भी बंटा हुआ है। इसके अलावा बाकी दलों का कोई खास जनाधार नहीं है। ऐसे में ओमप्रकाश के सामने पिछले चुनावी नतीजों को दोहराने की भी एक बड़ी चुनौती है। 

बता दें कि पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर समुदाय का वोट राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है। यूपी मे यूपी में राजभर समुदाय की आबादी करीब 3 फीसदी है, लेकिन पूर्वांचल के जिलों में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 फीसदी है. गाजीपुर, चंदौली, मऊ, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही में इनकी अच्छी खासी आबादी है, जो सूबे की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं। 

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