Qutab Minar: दिल्ली की साकेत कोर्ट आज कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की पुनर्स्थापना और पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं और जैन मंदिरों को तोड़कर ये मस्जिद बनाई गई है। वहीं इससे पहले खबर सामने आ रही है कि कुतुब मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने दावा किया है आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने कुतुब मीनार में नमाज पढ़ना बंद करवा दिया है। इमाम शेर मोहम्मद ने कहा कि 13 मई से ही कुतुब मीनार में नमाज़ पढ़ना बंद करवा गया है।

Qutab Minar: सरकार बोली- ASI की नीति इसकी इजाजत नहीं देती
वहीं संस्कृति मंत्री के एक अधिकारी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI की नीतियां निर्जीव स्थानों पर पूजा की इजाजत नहीं देती हैं। अधिकारी द्वारा कहा गया है कि, “ASI की नीतियां निर्जीव स्थानों पर पूजा पर रोक लगाती हैं। ऐसा कोई आदेश हाल फिलहाल में जारी नहीं किया गया है और यह नियम पहले से मौजूद है। इससे पहले भी ASI ने लेटर लिखा था कि नीति के अनुसार वहां नमाज बंद कर दी जाए। आखिरी ऐसा निर्देश कुछ महीने पहले भेजा गया था।”

ASI ने कहा- कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती
जानकारी मुतबिक ASI ने साकेत कोर्ट में हिंदू पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका का विरोध करते हुए जवाब भी दाखिल किया है। ASI ने हिंदू पक्ष द्वारा कुतुब मीनार में पूजा करने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका का विरोध किया है। जवाब में ASI ने कहा कि, कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती। क्योंकि कुतुब मीनार को 1914 संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला है। इसलिए इसमें पूजा की भी अनुमति नहीं दी जा सकती। जब से कुतुब मीनार को सरंक्षण में लिया गया है। तब से यहां कबी पूजा नहीं हुई है। साथ ही पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य का मामला है।

क्या है मामला?
बता दें कि, याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन ने कुतुब मीनार को लेकर बड़ा दावा किया है कि करीब 27 मंदिरों के 100 से ज्यादा अवशेष कुतुब मीनार में बिखरे पड़े हैं। कुतुब मीनार को लेकर हमारे पास इतने साक्ष्य हैं, जिसे कोई नकार नहीं सकता। इतना हीं नहीं यह भी कहा जा रहा है कि, याचिकाकर्ता ने कहा कि हमारे पास जो भी साक्ष्य वह सब एएसआई की किताबों से ही लिए गए हैं। एएसआई का कहना है कि ये मंदिरों के अवशेष हैं।
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