Prashant Kishor: सोनिया गांधी के कांग्रेस में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकराने के लगभग एक महीने बाद, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राजस्थान के उदयपुर में पार्टी के हालिया 3 दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ पर अपने विचार रखे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और चुनावी चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने एक विचार मंथन सत्र का आयोजन किया है।

अब प्रशांत किशोर ने ट्विटर करते हुए लिखा कि तीन दिवसीय शिविर में कांग्रेस कुछ भी सार्थक हासिल करने में विफल रहा है। उन्होंने लिखा कि मुझे बार-बार चिंतन शिविर के परिणाम पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया है। मेरे विचार से, यह यथास्थिति को लम्बा खींचने और कांग्रेस नेतृत्व को कम से कम गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावी हार तक कुछ समय देने के अलावा कुछ भी सार्थक हासिल करने में विफल रहा!
कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में क्या हुआ?
बता दें कि कांग्रेस के चिंतन शिविर में उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य, जहां क्षेत्रीय दल कांग्रेस के खिलाफ खड़े हैं, इसके अलावा 180 लोकसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जहां पार्टी की न्यूनतम उपस्थिति स्पष्ट रूप से है। शिविर के दौरान निर्णय लिया गया कि अपना खोया हुआ गौरव वापस पाने के लिए पार्टी को राज्यों में एक मजबूत चुनौती बनने के लिए गठबंधन करना होगा।

2023 में चार राज्यों में होने हैं चुनाव
बताते चलें कि कांग्रेस की प्रमुख परीक्षा इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होगी, जहां आम आदमी पार्टी भी पैठ बना बना रही है। कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जहां 2023 में चुनाव होने वाले हैं। ये प्रमुख राज्य हैं जहां कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन करें और 2024 के आम चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए जीत हासिल करें।
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