चीन यूं तो दुनिया भर के मुसलमानों का दोस्त बनने को ढोंग करता है लेकिन अपने देश में रह रहे मुसलमानों के साथ एकदम गंदा बर्ताव करता है। चीन में उईगुर मुस्लिमों के साथ जिस तरह का बर्ताव होता है, इसकी जानकारी सारी दुनिया को है। कोई भी व्यक्ति गूगल में यह खोज सकता है कि चीन के उईगर मुसलमान कितनी वाहियात स्थिति में वहां रहते हैं। अचरज तो इस बात को होता है कि चीन के साथ दोस्ती का दम भरने पाकिस्तान और तुर्की जैसे इस बर्बरता के खिलाफ चूं तक नहीं कर पाते।
अब चीन में उईगर मुसलमानों को एक नई यातना सेगुजरना पड़ रहा है। बताया गया है कि चीनी ‘री-एजुकेशन’ शिविरों में उइगुर मुस्लिमों को हर शुक्रवार को पोर्क (सूअर का मांस) खाने को मजबूर किया जा रहा है। चीनी सरकार द्वारा किए जा रहे अत्याचारों की शिकार रही एक महिला सेरागुल सौतबे ने अल जजीरा टीवी चैनल को इसकी जानकारी दी।
न्यूज चैनल अल जजीरा को दिए एक साक्षात्कार में सेरागुल ने कहा, हर शुक्रवार को हमें सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता था। उन्होंने जानबूझकर एक दिन चुना है जो मुसलमानों के लिए पवित्र है और यदि आप इसे अस्वीकार करते हैं, तो आपको कठोर दंड दिया जाता है।
चीन के दमन का शिकार रही एक और महिला बिजनसमैन जुमरेत दाउत हैं जिन्हें मार्च 2018 में उरुमेकी में पकड़ा गया था। उन्होंने कहा कि चीनी अधिकारियों ने उनके बच्चों की संख्या, धर्म और कुरान के पढ़ने के बारे में जानकारी मांगी। दाउत ने बताया कि एक बार तो उन्हें अपने कैंप के पुरुष अधिकारियों से शौचालय जाने के लिए भीख मांगनी पड़ी। उन्हें शौचालय तो जाने दिया गया लेकिन उनके हाथ बंधे हुए थे और पुरुष अधिकारी शौचालय तक उनक पीछा करते हुए गए थे। दाउत ने सूअर का मांस खाने को लेकर कहा कि पोर्क को उइगर मुस्लिमों के शिविर में परोसा जाता है। उन्होंने कहा हमें वह मांस खाना पड़ता है जो हमें दिया जाता है। चीन जानबूझकर शिंजियांग में सूअर पालन को बढ़ावा दे रहा है।