विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ पेश किया अविश्‍वास प्रस्‍ताव, क्‍या बच पाएगी मोदी सरकार, आखिर क्‍या होता है No Confidence Motion, जानिए यहां ?

No Confidence Motion: गौरतलब है कि विपक्ष के 50 से ज्‍यादा लोकसभा सदस्‍य इस प्रस्‍ताव पर नोटिस दे सकते हैं। चूंकि निचले सदन में विपक्षी दलों के पास 150 से कम सदस्य हैं, इसलिए अगर वे अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं, तो उनकी हार निश्चित है।

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No Confidence Motion:संसद का मानसून सत्र चल रहा है। मणिपुर मामले को लेकर दोनों सदनों में जमकर हंगामा हो रहा है। इस बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष और उत्तर पूर्व नेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। विपक्ष चाहता है कि पीएम मोदी मणिपुर मुद्दों पर सदन में बोलें।

केंद्र सरकार की तरफ से ये सफाई दी गई है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे। ऐसे में अविश्‍वास प्रस्‍ताव आने से क्‍या पीएम मोदी और उनकी सरकार का क्‍या होगा।
गौरतलब है कि विपक्ष के 50 से ज्‍यादा लोकसभा सदस्‍य इस प्रस्‍ताव पर नोटिस दे सकते हैं। चूंकि निचले सदन में विपक्षी दलों के पास 150 से कम सदस्य हैं, इसलिए अगर वे अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं, तो उनकी हार निश्चित है।

लोकसभा में बहस के दौरान उन्हें उतना समय नहीं मिल पाएगा, क्योंकि सदन में पार्टियों की संख्या के अनुसार समय आवंटित किया जाता है। आइए आसान भाषा में समझते हैं अविश्वास प्रस्ताव और क्या है इसकी प्रक्रिया?

No Confidence Motion kise kehte hai?
No Confidence Motion

No Confidence Motion: क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

No Confidence Motion: लोकसभा में विपक्षी दलों की तरफ से सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव कहलाता है।सरकार को लोकसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती के लिए इसे लाया जाता है। नियम 1998 के तहत, कोई भी सदस्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है।लोकसभा अध्यक्ष जब प्रस्ताव को कार्यवाही का हिस्सा बनाए।इसके लिए समर्थन में 50 सदस्यों का होना बेहद जरूरी है। लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को 10 बजे से पूर्व लिखित में नोटिस देना होता है।

No Confidence Motion: अगर अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए, तब क्या?

No confidence Motion 3 min 1
Parliament of India.

लोकसभा अध्यक्ष यह तय करेंगे कि प्रस्ताव को चर्चा और बहस के लिए स्वीकार किया जाए या नहीं। यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो अध्यक्ष चर्चा के लिए तारीख और समय तय करेगा। अध्यक्ष प्रस्ताव पर चर्चा के लिए (लोकसभा नियमों के नियम 198 के उप-नियम (2) और (3) के तहत) समय दे सकते हैं। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।

अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बहस होती है। प्रस्ताव उस सदस्य द्वारा पेश किया जाएगा जिसने इसे पेश किया है, और सरकार तब प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देगी। इसके बाद विपक्षी दलों को प्रस्ताव पर बोलने का मौका मिलेगा।

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कैसे होता है?

सदन में बहस पूरी होने के बाद लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करती है। अगर सदन के अधिकांश सदस्यों द्वारा इसका समर्थन किया जाता है तो प्रस्ताव पारित हो जाएगा।ऐसे में अगर सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर वोट से जीत जाती है, तो प्रस्ताव गिर जाता है और सरकार सत्ता में बनी रहती है।

जानिए अब तक कितनी बार सदन में लाया जा चुका है अविश्वास प्रस्ताव?

  • 27 बार, अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया है।
  • किसके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव?
  • 1963 में जेपी कृपलानी ने नेहरू सरकार के खिलाफ नोटिस दिया था
  • 1979 में मोरारजी देसाई इकलौते प्रधानमंत्री रहे, जिनकी अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार गिरी
  • 2003 में सोनिया गांधी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई
  • 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव, 325-126 के मार्जिन से मोदी सरकार जीती थी
  • लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे लंबी बहस 24.34 घंटे हुई
  • इंदिरा गांधी के खिलाफ 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, सभी मौकों पर उनकी जीत हुई
  • 4 अविश्वास प्रस्ताव CPIM के नेता ज्योतिर्मय बसु ने पेश किया

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