देश में 24 घंटे के भीतर 2.67 लाख कोरोना के नए केस सामने आए हैं वहीं 4529 मरीजों ने अपनी जान गंवाई है। कोरोना से बचने के लिए लोग वैक्सीन लगवाने के लिए भाग रहे हैं। दुख की बात तो यह है कि, देश इस समय भारी वैक्सीन की किल्लत से जूझ रहा है। इस पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में आग्रह करेंगे कि देश में जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए और दवा कंपनियों को मंजूरी देने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए।
विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि, “इसमें दवा के पेटेंट धारक को अन्य दवा कंपनियों द्वारा 10 प्रतिशत रॉयल्टी देने की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, ‘‘यदि टीके की आपूर्ति के मुकाबले उसकी मांग अधिक होगी तो इससे समस्या खड़ी होगी। इसलिए एक कंपनी के बजाय 10 और कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में लगाया जाना चाहिए। इसके लिए टीके के मूल पेंटेंट धारक कंपनी को दूसरी कंपनियों द्वारा दस प्रतिशत रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने आगे कहा कि, हर राज्य में दो-तीन लैब्स हैं। हम उन्हें वैक्सीन बनाने के लिए दे सकते हैं। ये सेवा के तौर पर नहीं, बल्कि रॉयल्टी चुकाने के साथ किया जाएगा। इससे वैक्सीन निर्माण 15-20 दिनों में शुरू हो सकता है। उन्होंने बताया- “मैंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बारे में बताया है। मैं पीएम मोदी को भी इस बारे में बताउंगा, ताकि फार्मा कंपनी 10 फीसदी रॉयल्टी देकर पेटेंट रखने जीवनरक्षक दवाओं का उत्पादन कर सकें।”
बता दें कि, देश की आबादी 132 करोड़ है। स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक भारत में 18,44,53,149 लोगों का ही वैक्सीनेश हुआ है। फीसदी में बात करे तो लगभग 8 प्रतिशत जनता ही वैक्सीनेटे है। इसके पीछे का मुख्य कारण है वैक्सीन की किल्लत, जानकारों का कहना है कि, अगर इसी तहर टीकाकरण होता रहा तो पूरे भारत को वैक्सीनेट करने में 10 साल लग जाएगा।