राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के संबंध में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्रगान (जन गण मन) और राष्ट्रगीत (वन्दे मातरम) को बराबरी का दर्जा नहीं दिया जा सकता।

दरअसल, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मांग की गई थी कि राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय ध्वज के प्रचार-प्रसार के लिए केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय नीति बनाए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्र, आर भानुमती और एसएम मल्लिकार्जुन की बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 51ए यानी मौलिक कर्तव्य के अंतरर्गत सिर्फ राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का ही उल्लेख है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के इस अनुच्छेद के अंतरर्गत राष्ट्रीय गीत का उल्लेख नहीं है और इसी आधार पर इस याचिका को खारिज किया जाता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में पिछले हफ्ते एक और याचिका दायर की थी जिसमें सिनेमाघरों में फिल्म के बीच राष्ट्रगान चलने पर दर्शकों से खड़े होने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर भी सुनवाई करते हुए कहा था कि फिल्मों के बीच में अगर राष्ट्रगान बजता है तो दर्शकों को खड़े होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान के संबंध में कुछ महीने पहले एक आदेश पारित किया था जिसमें सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान चलाना अनिवार्य कर दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान बजने के समय दर्शकों को उसके सम्मान में खड़ा होना और उस वक्त पर्दें पर राष्ट्रध्वज दिखाना भी अनिवार्य किया था।

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