पूर्व लोकसभा स्पीकर Meira Kumar ने देश में दलितों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर सवाल उठाए हैं। मीरा कुमार ने एक बयान दिया है कि देश में दो प्रकार के हिंदू हैं एक हिंदू वह हैं जाे मंदिर जा सकते हैं तो वहीं दूसरे वो भी हिंदू हैं जिनके साथ भेदभाव होता और उन्हें मंदिर में घुसने भी नहीं मिलता। मीरा कुमार ने यह बयान राजेंद्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। पूर्व लोकसभा स्पीकर ने यह भी कहा कि उनके पिता और देश के प्रमुख दलित नेता जगजीवन राम के साथ भी भेदभाव होता था।
धर्म बदलने से जाति नहीं बदलती
राजेंद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में बोलतेे हुए मीरा कुमार ने अपने पिता को लेकर कहा कि उन्हें भी भेदभाव का सामना करना पड़ता था और इसी के चलते कई लोगों ने उन्हें हिंदू धर्म छोड़ने की भी सलाह दी थी। लेकिन मेरे पिता ने कहा था कि वह नहीं छोड़ेंगे और इस व्यवस्था के खिलाफ मौजूदा स्थिति से लड़ेंगे”। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता पूछते थे कि “क्या धर्म बदलने से किसी की जाति बदल सकती है”।
कार्यक्रम में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने अपनी नई किताब “द लाइट ऑफ एशिया: द पोएम दैट डिफाइंड बुद्धा” पर एक व्याख्यान दिया। ”द लाइट ऑफ एशिया” सर एडविन अर्नोल्ड द्वारा लिखित एक पुस्तक है, जिसे पहली बार 1879 में प्रकाशित किया गया था। यह पुस्तक एक कथात्मक कविता के रूप में बुद्ध के जीवन का वर्णन करती है।
पूर्व लोकसभा स्पीकर के इस बयान के बाद समाज में व्याप्त जातिगत-भेदभाव की बहस फिर शुरू हो गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर भी लोग इस मुद्दे पर अपनी अलग-अलग राय रख रहे हैं।
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