दुनिया में कोरोना से सबसे अधिक पीड़ित देश भारत बन गया है। यहां पर आए दिन एक लाख से अधिक मामले रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। 14 अप्रैल को एक दिन में 1.85 लाख नए मामले रिकॉर्ड किए गए हैं। वहीं 1,000 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है। कोरोना के बढ़ते इस काल में कई राज्यों से वैक्सीन कमी की खबरे भी आरही हैं। महाराष्ट्र सरकार ने आरोप लगाया है कि, केंद्र सरकार ने उन्हें कम मात्रा में वैक्सीन मुहैया कराई है। वहीं दिल्ली के सीएम ने भी कुछ इसी तरह का आरोप लगाया है। वैक्सीन के कारण भारत में बढ़ती लड़ाई को देखते हुए सरकार ने विदेशी वैक्सीन को भारतीय बाजार में उतारा है।

देश में भारत निर्मित कोविशिल्ड और कोवैक्सीन टीका पहले से ही उपलब्ध था अब देश में छह वैक्सीन हो गई है। डीसीजीआई ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी को भारत मे इमरजेंसी इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। वहीं इसके साथ तीन और वैक्सीन को रखा गया है। इसमें मॉडर्ना, फाइजर और जानसन एंड जानसन जैसी कंपनियां शामिल हैं।

खास बात ये है कि, सरकार ने सभी कंपनियों को आसानी से भारत में प्रवेश नहीं करने दिया है। अन्य देश की वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पर कुछ नियमों का पालन करना होता है। हम आप को यहां बता रहे हैं कि, नियमों में बदलाव का किन विदेशी वैक्सीन को ज्यादा लाभ मिलेगा, उनकी कीमत कितनी होगी, सुरक्षा मानकों का किस प्रकार खयाल रखा जाएगा और क्या बाजार में भी वैक्सीन उपलब्ध हो सकेंगी।

न्यू ड्रग एंड क्लीनिकल ट्रायल रूल्स-2019 के अनुसार, जब भी विदेशी निर्माता भारत में वैक्सीन के आपातकालीन उत्पादन के लिए आवेदन करेगा, उसे स्थानीय क्लीनिकल ट्रायल संबंधी रिपोर्ट जमा करनी होगी। इसे ब्रिज ट्रायल कहा जाता है। इसमें निर्माता दूसरे व तीसरे चरण के सुरक्षा व प्रतिरक्षा संबंधी आंकड़े जुटाते हैं। चूंकि वैक्सीन का विदेश में ट्रायल हो चुका होता है, इसलिए स्थानीय ट्रायल में प्रतिभागियों की संख्या सीमित होती है।

इसी बेस पर सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड व डॉ. रेड्डी ने स्पुतनिक-वी का ब्रिज ट्रायल करवाया था। यह भी प्रविधान है कि राष्ट्रीय प्राधिकार चाहे तो विदेशी कंपनियों को नियमों में छूट दे सकता है। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब वैक्सीन के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव सामने न आए हों। हालांकि, दूसरे व तीसरे चरण के स्थानीय ट्रायल के प्रविधान को अब खत्म कर दिया गया है।

कोविशील्ड व कोवैक्सीन निजी अस्पतालों में फिलहाल 250 रुपये में लगाई जा रही है। जानकारों के अनुसार, फाइजर की वैक्सीन की एक खुराक करीब 1,400, मॉडर्ना की 2,800, चीनी वैक्सीन सिनोफार्म व सिनोवैक की क्रमश: 5,500 व 1,000 तथा स्पुतनिक-वी की 750 रुपये में उपलब्ध होगी। हालांकि, ये वैक्सीन अभी बाजार में उपलब्ध नहीं होंगी। इस संबंध में अभी सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है।

बता दें कि, विदेशी वैक्सीन में अमेरिका की जॉनसन एंड जॉनसन जल्द ही देश में टीकाकरण शुरू कर सकती है। इसे लेकर जॉनसन एंड जॉनसन ही फिलहाल ऐसी कंपनी है जिसने कहा है कि वह जल्द ही भारत में क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने जा रही है। इसे 12 मार्च को डब्ल्यूएचओ से भी हरी झंडी मिल चुकी है। इसके अलावा फाइजर व मॉडर्ना भी अपनी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकती हैं। नोववैक्स द्वारा विकसित सीरम की कोवोवैक्स भी कतार में है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here