Rashtriya Janata Dal के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने बिहार में महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। राजद सांसद मनोज झा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि ड्राइंग रूम पॉलिटिक्स से जमीनी सियासत नहीं होती।
मनोज झा के बयान से समझा जा सकता है कि बिहार महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार चुनाव में मिली हार की टीस राष्ट्रीय जनता दल को अभी तक साल रही है। बिहार में राजद के सहयोगी के रूप में कांग्रेस की भूमिका चुनाव के बाद से ही सवालों के घेरे में रही है।
तेजस्वी यादव बिहार में कांग्रेस की राजनीति से चिंता में हैं
वहीं अभी कुछ दिनों पूर्व ही जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार की कांग्रेस में इंट्री से राजद औऱ खासकर तेजस्वी यादव परेशान चल रहे हैं। दरअसल तेजस्वी को यह भय लगा हुआ है कि कन्हैया कुमार जिस तरह से राष्ट्रीय और बिहार की राजनीति में हावी हो रहे हैं, युवा हैं और जूझारू हैं तो कहीं न कहीं उनकी कांग्रेस में इंट्री से तेजस्वी की राह में रोड़ा अटक सकता है।
वहीं राजद का यह भी मानना है कि राहुल गांधी कन्हैया कुमार के जरिये बिहार के युवाओं में कांग्रेस को लोकप्रिय बनाने के लिए कन्हैया कुमार को फ्री-हैंड दे सकते हैं। जिससे युवा वोटर दो धड़े में बंट सकता है। अभी तो फिलहाल राजद का यही मानना है कि युवा वोटरों पर तेजस्वी यादव का सबसे ज्यादा प्रभाव है।
कांग्रेस बिहार में कन्हैया कुमार को लेकर संभावनाएं देख रही है
यही कारण है कि कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होते ही तेजस्वी यादव ने उन्हें कांग्रेस का दूसरा सिद्धू करार दे दिया था। अब देखना है कि राजद जैसा अनुमान कन्हैया कुमार को लेकर लगा रहा है क्या वाकई कन्हैया कुमार वैसा कुछ कर पाते हैं। वैसे राजनीति संभावनाओं का खेल है और चाहे वो राजद हो या फिर कांग्रेस सभी अपनी पिच पर बैटिंग करना चाहते हैं। यही कारण है बिहार में खोखली हो चुकी कांग्रेस कन्हैया कुमार में एक फायर ब्रांड नेता की छवि देख रही है जो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए ताबड़तोड़ बैटिंग कर सकते हैं।
गौरतलब है कि राजद और कांग्रेस का गठबंधन यूपीए के शासनकाल से चला आ रहा है औऱ कारण है साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस ने अन्य दलों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया औऱ चुनावी मैदान में बीजेपी को हराने के लिए उतरे थे।
2016 में नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ बीजेपी के साथ हो लिए
साल 2015 में राजद अपनी योजना में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को साथ मिलाकर सफल भी हो गई थी। उस समय राजद के कोटे से तेजस्वी यादव पथ निर्माण मंत्री के साथ-साथ डिप्टी सीएम का भी पद मिला था। वहीं उनके बड़े भाई तेज प्रताप को स्वास्थ्य मंत्रालय की कमान मिली थी, लेकिन कुछ महीनों के बाद साल 2016 में नीतीश कुमार बिदक कर भाजपा के पाले में चले गये।
उसके बाद साल 2019 में राजद ने महागठबंधन के तहत नीतीश कुमार औऱ भाजपा के खिलाफ पूरे दमखम से चुनाव लड़ा लेकिन बिहार की जनता ने गद्दी नीतीश कुमार को सौप दी।
बिहार में राजद बड़े भाई की हैसियत में हैं
चूंकि उन दोनों चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा, इसलिए प्रदेश की राजनीति में राजद बड़े बाई की भूमिका में आ गया और कांग्रेस को छोटे भाई की भूमिका से संतोष करना पड़ा। इसी वजह से कांग्रेस ने रणनीति बदलते हुए कन्हैया कुमार को अपने खेमे में लाकर तेजस्वी को संदेश दिया कि हम अगले विधानसभा चुनाव में बराबरी की हैसियत में रहेंगे। जिसे राजद कभी स्वीकार नहीं करेगी। यही कारण है कि कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से राजद लगातार कांग्रेस पर हमलावर है।
इसे भी पढ़ें: Kanhaiya Kumar के पास कांग्रेस के अलावा नहीं था कोई विकल्प, ये हैं 5 कारण
Kanhaiya Kumar ने थामा कांग्रेस का हाथ, Jignesh Mewani ने कहा- ”मैं पार्टी के विचारों के साथ हूं”