Mallikarjun Kharge: कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज आधिकारिक तौर पर अपना कार्यभार संभाल लिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में सुबह सोनिया गांधी, राहुल गांधी, छत्तीसगढ़ के सीएम भीपेश बघेल और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अध्यक्ष पद की कमान खड़गे ने अपने हाथों में ले ली हैं।
इस दौरान पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि खड़गे के नेतृत्व में पार्टी पहले से ज्यादा मजबूत होगी। पार्टी के आगे अभी कई चुनौतियां हैं। खड़गे अपनी सालों की मेहनत से आज कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं। सोनिया गांधी ने कहा कि जनता और कार्यकर्ताओं का सम्मान उनके लिए अब तक की सबसे बड़ी पूंजी है। उन्होंने भरोसा जताया कि अब कांग्रेस पहले से ज्यादा मजबूती से आगे बढ़ेगी। इस कार्यक्रम में सांसद राहुल गांधी और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद रहे।
इस कार्यक्रम में कांग्रेस कार्यसमिति के सभी सदस्य, सांसद, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, कांग्रेस विधायक दल के नेता, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एआईसीसी के अन्य पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। इन सभी हितधारकों को संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने निमंत्रण भेजा है।
Mallikarjun Kharge: थरूर को भारी मतों से दी थी मात
दरअसल, 17 अक्टूबर को हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में खडंगे को एक तरफा जीत हासिल हुई थी। उनके सामने प्रतिद्वंद्वी के रूप में शशि थरूर थे। इस चुनाव में खड़गे ने शशि थरूर को 6,825 वोट से मात दी थी। खड़गे को 7897 वोट मिले थे। वहीं, शशि थरूर को 1072 वोट प्राप्त हुए थे। मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला है। इससे पहले सीताराम केसरी गैर गांधी अध्यक्ष रहे थे। कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए छठी बार चुनाव हुआ है।
Mallikarjun Kharge: खड़गे के अध्यक्ष बनने के क्या हैं मायने?
दलित वोट साधने की कोशिश:- केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद से कांग्रेस का नेतृत्व देश में कमजोर हुआ है। ऐसे में पिछले कुछ समय से कांग्रेस की राजनीति में दलित वोट बैंक पर काफी जोर दिया जा रहा है। अब मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान देना पार्टी की दलित राजनीति को नई धार दे सकता है।
कर्नाटक चुनाव की तैयारी:- बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक में एक बड़े दलित नेता के चेहरे के रूप में हैं। वह कर्नाटक के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यहां की आबादी 19.5 प्रतिशत है, वहीं 16 फीसदी मुस्लिम हैं। अनुसूचित जनजाति का आंकड़ा भी 6.95 प्रतिशत है। जबकि दलितों की आबादी 19.5 प्रतिशत है। राज्य में जतीय समीकरण ऐसा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस को फायदा पहुंच सकता है।
Mallikarjun Kharge: अध्यक्ष पद के साथ आयी ये चुनौतियां
मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ ही कई चुनौतियां भी उनके साथ आयी हैं। दरअसल, वह ऐसे समय में अध्यक्ष बने हैं जब देश के कई राज्यों हिमाचल, गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं। इस बीच कांग्रेस की देश के कई राज्यों में पकड़ भी कमजोर हुई है। ऐसे में इन सबका सामना करना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
इतना ही नहीं कांग्रेस के कई राज्यों में दो गुट बन गए हैं। राजस्थान में ही सियासी संकट एक बड़ी सिरदर्दी है। ऐसे में पार्टी को एकजुट करना काफी जरूरी है। कांग्रेस अपना जनाधार देश के कई राज्यों में खो चुकी है। ऐसे में उनके सामने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोबारा जनाधार पाना होगा और कांग्रेस को एकजुट करने का चैलेंज है।
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