पार्थ समथान ने कहा अलविदा ‘CID 2’ को, ACP प्रद्युमन संग मनाया खास जश्न, लिखा इमोशनल मैसेज

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पार्थ समथान ने कहा अलविदा ‘CID 2’ को, ACP प्रद्युमन संग मनाया खास जश्न, लिखा इमोशनल मैसेज
पार्थ समथान ने कहा अलविदा ‘CID 2’ को, ACP प्रद्युमन संग मनाया खास जश्न, लिखा इमोशनल मैसेज

टीवी अभिनेता पार्थ समथान का सफर अब ‘CID 2’ में एसीपी आयुष्मान की भूमिका के साथ समाप्त हो गया है। शो के सेट पर अपने आखिरी दिन, पार्थ ने एक भावुक विदाई ली और सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया जिसमें वह केक काटते हुए अपनी टीम के साथ इस यात्रा का उत्सव मना रहे हैं।

ACP प्रद्युमन संग मनाया आखिरी दिन

इस मौके पर शो के प्रतिष्ठित चेहरे शिवाजी साटम (ACP प्रद्युमन), आदित्य श्रीवास्तव और दयानंद शेट्टी भी पार्थ के साथ नजर आए। विदाई के दौरान न सिर्फ हंसी-मजाक हुआ बल्कि पुराने पलों को भी याद किया गया।

इंस्टाग्राम पर लिखा दिल छू लेने वाला नोट

पार्थ ने अपने पोस्ट में लिखा, “ट्रोलिंग से शुरू हुआ ये सफर, प्यार और सीख के साथ खत्म हुआ। इस शो ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और CID की पूरी टीम से जो रिश्ता बना, वो मेरे लिए अनमोल रहेगा। इतने प्यार और सम्मान के लिए शुक्रिया। इसमें कोई हैरानी नहीं कि यह शो इतिहास का सबसे लंबे समय तक चलने वाला शो बना।” उन्होंने चैनल और क्रिएटिव टीम का भी आभार जताया।

शुरुआत में निभाने से किया था इनकार

एक पुराने इंटरव्यू में पार्थ ने खुलासा किया था कि उन्होंने शुरू में इस रोल को करने से मना कर दिया था। उन्हें लगा कि वो किरदार से खुद को नहीं जोड़ पा रहे हैं और इस शो के पुराने कलाकारों को ऑनस्क्रीन ‘सर’ कहना उन्हें असहज कर रहा था। लेकिन बाद में मेकर्स ने उन्हें दोबारा विचार करने को कहा।

‘लीजेंड’ की जगह लेना आसान नहीं था

पार्थ ने माना कि फैंस का रिएक्शन स्वाभाविक था और उन्हें भी ट्रोलिंग की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा, “एक ऐसे किरदार की जगह लेना जो सालों से दर्शकों का चहेता रहा हो, बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है।” उन्होंने बताया कि शिवाजी साटम के साथ शूट करना उनके लिए गर्व की बात थी और उनकी एनर्जी और डेडिकेशन को उन्होंने प्रेरणादायक बताया।

ट्रोलिंग पर कही दिल की बात

अपने अनुभव साझा करते हुए पार्थ ने कहा, “मैं खुद भी ओरिजिनल CID का फैन रहा हूं और समझ सकता हूं कि दर्शकों को किसी नए चेहरे को स्वीकारने में समय क्यों लगता है। अगर मैं दर्शक होता, तो शायद मेरी भी यही प्रतिक्रिया होती।” पार्थ समथान की इस जर्नी ने दिखाया कि कैसे आलोचना को आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से बदला जा सकता है एक यादगार अनुभव में।