जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महाबैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वह बैठक के बारे में बहुत कुछ बयान कर रही हैं। तस्वीरों में पीएम मोदी सभी नेताओं से मुस्कुरा कर मिलते नजर आ रहे हैं। कश्मीरी नेता भी पीएम से मिलकर खुश नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी के साथ कश्मीरी नेताओं की ऐसी तस्वीरों को लेकर कई यही कयास लगाया जा रहा है कि बातचीत ट्रक पर है। जब तक घाटी में चुनावों की घोषणा नहीं होती तब तक आगे भी ऐसी बैठकों की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

इस बैठक के बाद न्यूज एजेंसी ANI  ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने बैठक में मौजूद सभी नेताओं की सलाह को सुना और उनसे जरुरी राय भी ली। पीएम मोदी ने इस बात पर प्रशंसा भी जाहिर की है कि सभी नेताओं ने ईमानदारी से अपना पक्ष रखा। इस बैठक का लब्बोलुआब यहीं रहा कि कश्मीर के बेहतर भविष्य की मजबूत आधारशीला रखी जाए। पीएम मोदी ने बैठक में आए कश्मीर नेताओं से कहा है कि वो दिल्ली और दिल की दूरी को खत्म करना चाहते हैं। 

राजधानी के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर लगभग साढ़े तीन घंटे चली इस बैठक में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री और चार पूर्व उपमुख्यमंत्री शामिल हुए थे। इन नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर प्रमुख हैं।

इनके अलावा बैठक में पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन मौजूद थे। भाजपा की ओर से बैठक में शामिल होने के लिए जम्मू एवं कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना, पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता और निर्मल सिंह भी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे थे।

modi with jk leaders

जब से देश जम्मी कश्मीर में धारा 370 के विशेष प्रावधानों को खत्म करके नई व्यवस्था लागू हुई है, तब से विवादों की बहुत सारी बातें तो अब आधारहीन हो गई हैं। पिछले लगभग दो सालों में पहली बार के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वार्ता का हाथ बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस केंद्रशासित प्रदेश के भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए बृहस्पतिवार को वहां के 14 नेताओं के साथ एक अहम बैठक की। जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली ऐसी बैठक है जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। बता दें कि कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया था और राज्य को जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। इसके बाद फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।

बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद थे। एक खास बात यह भी है कि यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही परिसीमन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जम्मू-कश्मीर के सभी उपायुक्तों के साथ मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और सात नयी सीटें बनाने पर विचार-विमर्श किया था।

अधिकारियों ने बताया था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में इस दिसम्बर से अगले साल मार्च के बीच चुनाव कराने को तत्पर है। कोशिश है कि इससे पहले परिसीमन के काम को पूरा कर लिया जाए।परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी।

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