यूपी के बांदा से मानवता को शर्मसार करने वाली एक खबर आ रही है। एम्बुलेंस ना मिलने पर रेलवे पुलिस (जीआरपी) के एक सिपाही को रिक्शे पर लाद कर एक शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाना पड़ा।

आपको बता दें कि बांदा स्टेशन पर शनिवार शाम को एक युवक का शव मिला। सूचना मिलते ही मौके पर जीआरपी पहुंची और उन्होंने शव को तुरंत कब्जे में ले लिया। सूचना मिलते ही जीआरपी के सिपाही मौके पर पहुंचे। मृतक की पहचान 35 साल के महोत्रा गांव निवासी रामआसरे के रूप में हुई। पुलिस ने सबसे पहले इसकी जानकारी मृतक रामआसरे के परिवार वालों को दी और सूचना मिलने पर मृतक का एक पड़ोसी लालमन मौके पर पहुंचा।

Corpse arrived by rickshawफिर जीआरआरपी कांस्टेबल दिवाकर सिंह ने 108 नम्बर एम्बुलेंस को फोन किया, लेकिन वहां से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। एम्बुलेंस वालों का कहना था कि हम सिर्फ मरीजों को अस्पताल पहुंचाते है। इसके बाद कांस्टेबल और पड़ोसी लालमन ने योगी सरकार की नई योजना मुक्तिधाम से एम्बुलेंस मांगी, पर वहां से जवाब आया कि यह योजना लावारिस मरीजों के लिए है। इसके बाद उन्होंने कई रिक्शा और ऑटो वालों से भी संपर्क किया, लेकिन उनमें से अधिकतर ने मना कर दिया।

कुछ देर बाद एक रिक्शा वाला शव को ले जाने को राजी हुआ और फिर जीआरपी का सिपाही  शव को रिक्शे पर रखकर पोस्टमॉर्टम के लिए ले गया। वहीं जीआरपी के दो अन्य कांस्टेबल इसके पीछे दूसरे रिक्शे से चल रहे थे। बिडंबना यह रही कि इस दौरान यह रिक्शा एसपी आवास, डीएम आवास सहित कई वीआईपी मकानों के सामने से गुजरा पर किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया।

जहां एक तरफ प्रदेश की योगी सरकार बेहतर स्वास्थय सेवा देने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दे रही है, वहीं यह तस्वीर पूरे सिस्टम को शर्मसार करने वाली है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले महीने मिर्जापुर में एक भाई को अपनी शादीशुदा बहन को कंधे पर रखकर हॉस्पिटल ले जाना पड़ा था। वहीं कौशांबी में भी एक शख्स को अपनी सात महीने की भांजी की बॉडी कंधे पर रखकर 10 किलोमीटर का रास्ता साइकिल से तय करना पड़ा था।

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