देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस लगभग सभी राज्यों में चुनाव हार रही है। पार्टी एक साल से बिना अध्यक्ष के ही चल रही है। इस बात को लेकर पार्टी के बीच झगड़ा शुरू हो गया है। आपसी मतभेद साफ तौर पर नजर आ रहा है। कपिल सिब्बल लगातार कांग्रेस पर हमालवर बने हुए हैं।

डेढ़ साल से पार्टी है अनाथ

एक अधिकारीक चैनल को दिए इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा,  राहुल गांधी ने जब ऐलान किया था कि उनकी पार्टी चीफ रहने में दिलचस्पी नहीं है, तब से अब तक कांग्रेस बगैर मुखिया के है। इस बात को लगभग डेढ़ साल हो चुके हैं। क्या पार्टी डेढ़ साल तक बगैर नेता के चल सकती है क्या?…कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भी नहीं मालूम है कि आखिर उन्हें भविष्य में क्या करना है या कहां जाना है।

सोनिया गांधी को लिखा खत

पार्टी सांसद और INC अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिख असहमति जताने वाले 23 नेताओं में से एक कपिल सिब्बल ने फिर इस मसले पर अपनी राय जाहिर की कि कांग्रेस अब प्रभावी विपक्ष नहीं रहा है। साथ ही कहा- डेढ़ साल से पार्टी बिना अध्यक्ष के है। ऐसे भला क्या कोई पार्टी चलती है?

कांग्रेस पर बीजेपी भारी

कपिल सिब्बल के अनुसार कई राज्यों मे अभी हाल ही में हुए चुनाव से मालुम पड़ता है कि उत्तरप्रदेश जैसे राज्य में जहां कांग्रेस का मुकाबला आकेले था वहां पार्टी बुरी तरह हार गई। यहां तक की गुजरात में भी पार्टी का बेहद खराब प्रदर्शन रहा है।

गुजरात चुनाव हारी

बकौल कांग्रेसी नेता, “गुजरात में हम सभी आठ सीटें हार गए। 65 फीसदी वोट भाजपा के खाते में चला गया। हालांकि, ये कांग्रेस के दलबदलुओं द्वारा खाली की गई सीटें थीं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दल बदलने वाले नेताओं की वजह से सभी 28 सीटें खाली हो गई थीं, पर कांग्रेस इनमें आठ ही जीत पाई।”

23 नेताओं ने लिखा खत

कपिल सिब्बल पेशे से वकील हैं। इन्होंने जुलाई में हुई पार्टी की मीटिंग का भी जिक्र किया है। कपिल ने बताया संसदीय समूह की बैठक में कई दफा अध्यक्ष को लेकर मुद्दा उठा चुके हैं। फिर 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को अगस्त में खत भी लिखा था, पर उस पर न तो कोई चर्चा हुई और न ही उन लोगों के पास इस मसले को लेकर कोई आगे आया।

सिब्बल का हालिया बयान ऐसे वक्त पर है, जब पूर्व में नेतृत्व पर खुलकर बोलने को लेकर वह पार्टी के कुछ और नेताओं के निशाने पर आ गए थे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो यह तक कह दिया था कि पार्टी अंदरखाने के मसले उन्हें मीडिया के समक्ष नहीं उठाने चाहिए।

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