मॉनसून सत्र 2020 में रविवार को कृषि कानून को लेकर सदन में इतना हंगामा हुआ की उपसभापति हरिवंश नारायण ने 8 सांसदों को पूरे सत्र से ही निलंबित कर दिया।

यह पहली बार नहीं हुआ है कि सांसदों को निलंबित किया गया हो इसके पहले भी इसी तरह से कई सांसदों को निलंबित किया जा चुका है।

इतिहास का सबसे बड़ा निलंबन

2013 में मॉनसून सत्र के दौरान, अगस्त 23 को लोकसभा अध्यक्ष ने संसद की कार्यवाही में रुकावट पैदा करने के लिए 12 सांसदों को निलंबित कर दिया था।

इन 12 लोगों में से नौ को सितंबर 2 को फिर से निलंबित कर दिया गया था। हर बार सांसदों को पांच बैठकों के लिए निलंबित किया गया था।

संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था। सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे। अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था। चार अन्य सांसद उनके साथ सदन से बाहर चले गए।

निलंबन का कारण

निलंबित सांसदों पर आरोप है कि इन्होंने हरिवंश नारायण के साथ दुर्व्यहार किया है। निलंबित होने के बाद सभी सांसद संसद परिसर में ही रात भर धरने पर बैठे थे।

सोमवार की सुबह उपसभापति ने संजय सिंह समेत आठ सांसदों को चाय पिलाई। इस पर नरेंद्र मोदी ने ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा “लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर  पिलाई।’’

निलंबन के मामले ने आग पकड़ ली है विपक्ष ने नौवें मॉनसून सत्र का बहिष्कार भी कर दिया। इसी बीच कृषि से जुड़ा तीसरा बिल भी राज्यसभा में पास हो गया।

निलंबित सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन (टीएमसी), संजय सिंह (आप), राजू सातव (कांग्रेस), केके रागेश (सीपीएम), रिपुन बोरा(कांग्रेस), डोला सेन (टीएमसी), सैय्यद नासिर हुसैन(कांग्रेस) और इलामारन करीम (सीपीएम) शामिल हैं।

क्यों किया जाता है निलंबित ?

इस नियम के अनुसार किसी सांसद को अव्यवस्था फैलाने – “बार-बार अध्यक्ष की कुर्सी के सामने पहुंचने के लिए या बार-बार संसद के नियमों को तोड़ने, नारे लगाने या उसकी कार्यवाही में बाधा पहुंचाने के लिए” पांच बैठकों तक के लिए निलंबित किया जा सकता है।

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