जानिए Hindenburg Research के बारे में, जिसकी रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के डूब गए लगभग 4 लाख करोड़ रुपए

अदानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने अपना 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ (Follow on Public Offer) भी लॉन्च किया है। Hindenburg Research की रिपोर्ट के आने के बाद से देश की विपक्षी पार्टियो ने अडानी ग्रुप के खिलाफ SEBI जांच की मांग की है।

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जानिए Hindenburg Research के बारे में जिसकी रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के डूब गए लगभग 4 लाख करोड़ रुपए - APN News
Gautam Adani Group - Anderson - Hindenburg Research

एशिया के सबसे बड़े धनवान गौतम अडानी के अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा 20,000 करोड़ रुपए की शेयर पेशकश से कुछ दिन पहले ही न्यूयॉर्क स्थित निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) द्वारा एक रिपोर्ट Adani Group: How The World’s 3rd Richest Man Is Pulling The Largest Con In Corporate History जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह “दशकों से स्टॉक के हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी करने में लगा हुआ था”।

बता दें कि आज ही यानी 27 जनवरी को अदानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने अपना 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ (Follow on Public Offer) भी लॉन्च किया है। Hindenburg Research की रिपोर्ट के आने के बाद से देश की विपक्षी पार्टियो ने अडानी ग्रुप के खिलाफ SEBI जांच की मांग की है।

Hindenburg Research and Adani
Adani

वहीं, रिपोर्ट आने के बाद से शुक्रवार 27 जनवरी 2023 तक गौतम अडानी (Gautam Adani) के कॉरपोरेट साम्राज्य में हुई तेज बिकवाली (Market) के चलते ग्रुप की वैल्यू में करीब $50 बिलियन अमेरिकी डॉलर (4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा) का घाटा हुआ है।

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Adani ग्रुप को बताया बड़ा फ्रॉड

हिंडनबर्ग ने अडानी को लेकर जारी की गई अपनी रिपोर्ट में ग्रुप की गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए अपनी 32,000 हजार शब्दों की रिपोर्ट में कहा है कि Adani ग्रुप ने विदेशों में बनाई अपनी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया और आरोप लगाया कि मॉरिशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हेवन में बनाई गई कई बेनामी कंपनियां में अडानी की कंपनियों में हिस्सेदारी है।

रिपोर्ट के बारे में हिंडनबर्ग ने कहा है कि उसकी रिपोर्ट दो साल तक चले शोध के बाद तैयार की गई है और रिपोर्ट को तैयार करने के लिए अडानी ग्रुप (Adani Group) में काम कर चुके पूर्व अधिकारियों के साथ-साथ कई अन्य लोगों से भी बात की गई है और कई दस्तावेजों को खंगाला गया है।

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Adani ग्रुप कर रहा कानूनी कार्रवाई की तैयारी

अब Adani ग्रुप न्यूयॉर्क की हिंडनबर्ग रिसर्च पर कानूनी कार्रवाई के बारे में विचार कर रहा है, ग्रुप की ओर से कहा गया है कि “हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के खिलाफ हम कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए हम अमेरिकी और भारतीय कानूनों के तहत कार्रवाई करेंगे।” इसके जवाब में हिंडनबर्ग ने कहा है कि “अगर अडानी ग्रुप हमारे खिलाफ सच में कार्रवाई करना चाहता है, तो उसे अमेरिका में कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि हम अमेरिका में ही काम करते हैं। हम कानूनी कार्रवाई के दौरान कई दस्तावेज (अडानी ग्रुप से) की मांग भी करेंगे।”

हिंडनबर्ग ने अपने बयान में कहा है कि, “हमारी रिपोर्ट जारी करने के बाद से पिछले 36 घंटों में अदानी ने एक भी गंभीर मुद्दे को लेकर जवाब नहीं दिया है। हमने रिपोर्ट के निष्कर्ष को लेकर ग्रुप से 88 सटीक सवाल पूछे थे जो कि हमारे मुताबिक कंपनी को अपने आप को निर्दोष साबित करने का मौका देता है।” लेकिन “अभी तक अदानी ग्रुप ने एक भी जवाब नहीं दिया है। साथ ही जैसा कि हमें उम्मीद थी, अदानी ने धमकी का रास्ता अपनाया है। ग्रुप द्वारा मीडिया को जारी किए गए बयान में अदानी ने हमारी 106 पन्नों की, 32 हजार शब्दों की और 720 से ज्यादा उदाहरण के साथ दो सालों में तैयार की गई रिपोर्ट को “बिना रिसर्च का” बताया हैं।”

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अडानी ग्रुप के शेयरों में आज भी करीब 20 फीसदी की गिरावट

मंगलवार 24 जनवरी को आई रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप को करीब 2.40 लाख करोड़ का नुकसान हो चूका है। आज यानी 27 जनवरी को भी अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। अडानी ट्रांसमिशन 19.38 फीसदी, अडानी पोर्ट्स 17.95 फीसदी, अडानी विल्मर 5.00 फीसदी, अडानी पावर 5 फीसदी, अडानी टोटल गैस 20 फीसदी, अडानी ग्रीन एनर्जी 20 फीसदी और अडानी इंटरप्राइजेज 14.56 फीसदी गिरा है। अडानी ग्रुप द्वारा हाल ही में खरीदी गई कंपनियों अंबुजा सीमेंट 17.46 फीसदी, ACC 14.20 फीसदी और NDTV का शेयर 4.99 फीसदी गिरा है।

Adani
Adani Group

Hindenburg Research क्या करता है?

हिंडनबर्ग रिसर्च अपनी वेबसाइट पर कहता है कि कंपनी फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान में माहिर है। हिंडनबर्ग के अनुसार उनको निवेश प्रबंधन के उद्योग में दशकों का अनुभव है, इसके साथ ही “इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव विश्लेषण को लेकर उसको महारत हासिल है”।

हिंडनबर्ग, जिसका नाम 1937 में जर्मन एयरशिप के नाम पर रखा गया था, ने 2020 के बाद से अब तक लगभग 30 कंपनियों को टारगेट किया है। समाचार एजंसी ब्लूमबर्ग की गणना के अनुसार, जितनी भी कंपनियों को हिंडनबर्ग ने टारगेट किया है औसतन, उनके स्टॉक अगले दिन लगभग 15 फीसदी गिर गए, और छह महीने बाद तो 26 फीसदी तक नीचे आ गए।

इस रिसर्च फर्म का नाम ‘हिंडनबर्ग एयरशिप’ के हाई प्रोफाइल दुर्घटना पर रखा गया है। हिंडनबर्ग एक जर्मन एयरशिप हुआ करता था में 1937 में आग लगने से 35 लोगों की मौत हो गयी थी। हादसे के बारे में कहा जाता है कि टाला जा सकता था, लेकिन होने दिया गया।

कंपनी की वेबसाइट अपने “ट्रैक रिकॉर्ड” के बारे में भी बताती है। इसकी वेबसाइट के अनुसार, हिंडनबर्ग के लगभग सभी काम कानूनी या नियामक कार्रवाई के बाद किए गए हैं। एंडरसन और उनकी टीम कंपनियों में छानबीन करती है और उनके रिकार्ड में गड़बड़ियों को तलाशती है। इसका एक हाई-प्रोफाइल उदाहरण: इलेक्ट्रिक-वाहन निर्माता निकोला है, जिसे हिंडनबर्ग ने “झूठ का महासागर” कहते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। 2020 में आई इस रिपोर्ट के बाद हुई जांच में पिछले अक्टूबर में, निकोला के संस्थापक ट्रेवर मिल्टन को निवेशकों को धोखा देने के आरोपों में दोषी ठहराया गया था।

Nathan Nate Anderson Hindenburg Research
Nathan Nate Anderson – Hindenburg Research

कौन चलाते हैं Hindenburg Research?

हिंडनबर्ग रिसर्च एलएलसी की स्थापना 38 वर्षीय नाथन (नैट) एंडरसन (Nathan Anderson) ने की थी, जिन्होंने कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधन में पढ़ाई की और संयुक्त राज्य अमेरिका लौटने से पहले इजरायल के यरूशलेम शहर में रहते थे, जहां उन्होंने फैक्टसेट नामक एक वित्तीय सॉफ्टवेयर कंपनी के साथ परामर्श कार्य भी किया और फिर जून 2021 में वाशिंगटन डीसी और फिर बाद में न्यूयॉर्क में एक ब्रोकर डीलर फर्म में भा कार्य किया। जिस समय समय एंडरसन ने हिंडनबर्ग का कार्य शुरू किया था तो हिंडनबर्ग में पांच पूर्णकालिक कर्मचारियों और कुछ अन्य लोगों की एक छोटी सी टीम के साथ काम करना शुरू किया था।

हिंडनबर्ग ने और क्या काम किया है?

हिंडनबर्ग रिसर्च इससे पहले भी इस तरह की रिपोर्ट प्रकाशित करते आयै है जिसके चलते पहले भी कई कंपनियों के शेयरों के भाव गिरा चुका है। 2020 में उसने अमेरिकी ट्रक निर्माता कंपनी निकोला और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर में भी अपनी हिस्सेदारी बेची थी, जिसके बाद से दोनों कंपनियों के शेयरों के भावों में भारी गिरावट आई थी। 2016 में अपनी पहली रिपोर्ट जारी करने के बाद से हिंडनबर्ग रिसर्च ने दर्जनों ऐसी कंपनियों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की हैं और उनकी कथित धोखाधड़ी को उजागर किया है।

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