केंद्र सरकार गंगा नदी की सफाई व स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिये संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय गंगा नदी पुर्नरूद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन विधेयक लाने की तैयारी कर कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने ‘गंगा नदी संरक्षण के लिये कानून’ बनाने के वास्ते एक विधेयक का मसौदा तैयार किया था।

इसे केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के पास प्रतिक्रिया के लिए भेजा था। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन अब इन मंत्रालयों एवं विभागों की टिप्पणियों को समाहित कर फिर से मसौदे को अंतिम रूप दे रहा है। इसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिये भेजा जायेगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।

उल्लेखनीय है कि जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय ने ‘राष्‍ट्रीय नदी गंगा (पुर्नरूद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) विधेयक 2017’ के मसौदे के विभिन्‍न प्रावधानों पर विचार-विमर्श के लिए समिति का गठन किया था। इस विधेयक में गंगा नदी की निर्मलता एवं अविरलता को नुकसान पहुंचाने वालों पर जुर्माने का प्रावधान है।

इस समिति को कृषि, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की मांग के चलते गंगा नदी पर बढ़ते दबाव एवं उसकी धारा की निरंतरता को बनाए रखने जैसी चुनौतियों पर भी विचार करने का दायित्व सौंपा गया था । ऐसे विधेयक के तहत पहली बार गंगा नदी के संरक्षण और सुरक्षा के लिए अत्‍याधिक कठोर प्रावधान का प्रयास हो रहा है।

विधेयक में गंगा नदी के संबंध में उच्‍चतम न्‍यायालय, उच्‍च न्‍यायालयों और राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्णयों को भी समाहित किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्‍तावित विधेयक का मसौदा इस प्रकार तैयार किया जा रहा है कि यह आने वाले दिनों में देश की अन्‍य नदियों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए एक आदर्श विधेयक साबित हो।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने जुलाई 2016 में नदी गंगा की निर्मलता और अविरलता को बनाए रखने के लिए इस विधेयक के मसौदे को तैयार करने के लिए न्‍यायमूर्ति (अवकाश प्राप्‍त) गिरिधर मालवीय की अध्‍यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने इस विधेयक का मसौदा 12 अप्रैल 2017 को केंद्रीय जल संसाधन, गंगा सरंक्षण मंत्रालय को सौंपा था।

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