कश्मीर में हाल के दिनों में हिंसक गतिविधियां चरम पर हैं। कश्मीरी युवकों के अलावा अब लड़कियां भी सेना और पुलिस पर पत्थर फेंकती नजर आ रही हैं। कश्मीर में ऐसा नजारा पहले देखने को नहीं मिला था। सेना और सीआरपीएफ के लिए यह एक नयी चुनौती मानी जा रही है लेकिन आज कश्मीर से आई एक खबर थोड़ी राहत भरी है।  खबर के मुताबिक सेना पर पत्थर फेंकने वाली लड़कियां पत्थरबाजी करने में नहीं बल्कि देश के लिए फुटबॉल खेलने में रूचि रखती हैं।

खबर के अनुसार पिछले सप्ताह घाटी में स्कूलों और कॉलेजों के खुलने के बाद हुए हिंसक प्रदर्शन में इन लड़कियों ने सेना पर पत्थर जरुर बरसाए थे और वह इस बात को स्वीकार भी करती हैं लेकिन उनका इरादा कुछ और है। यह इरादा है भारत के लिए फुटबॉल खेलने का और इस इरादे को पूरा करने के लिए वह फील्ड में जी तोड़ मेहनत करती नजर आ भी रही हैं।

फुटबॉल खेल रही लड़कियों ने 24 अप्रैल को हुई पत्थरबाजी के बारे में बताते हुए कहा है कि उस दिन हम प्रैक्टिस में लगे थे। इसी दौरान कुछ लड़कों ने दीवार तोड़ दी और अन्दर आकर लड़कियों को पत्थरबाजी के लिए उकसाने लगे। जिसके बाद वहां पुलिस पहुँच गई। जिसे देखकर हम घबरा गए। हालांकि तब तक हमने पत्थर नहीं फेंका था। लेकिन जब पुलिस के एक जवान ने एक लड़की को थप्पड़ मारा तब हमने पत्थरबाजी शुरू की थी। जिसके बाद कई लड़कियों को चोटें आईं थी। हालांकि इस मामले में सेना और पुलिस ने अपनी सफाई में कहा था कि लड़कियों और पत्थरबाजों के साथ नरमी बरती गई थी। जिसका सबूत यह है कि उन्हें चोटें नहीं लगी या नुकसान कम हुआ। वरना उग्रता दिखने से माहौल ख़राब हो सकता था।

कुल मिलकर देखें तो हम यह कह सकते हैं कि राज्य की महबूबा और केंद्र की मोदी सरकार को इन लड़कियों के फैसले से थोड़ी राहत जरुर मिल सकती है। शर्त यह है कि राज्य में हिंसा के दौर पर काबू पाया जाए।

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