1960 में आधुनिक रहने वाला अफगानिस्तान साल 2021 में 1996 में पहुंच गया है। जहां पूरी दुनिया लोकतंत्र को बढ़ावा दे रही है। डिजिटल बन रही है। महिलाएं इतिहास रच रही हैं वहीं अब अफगान शरिया कानून को बढ़ावा दे रहा है। महिलाओं को पर्दे में रखने की बात कह रहा है। अफगानिस्तान में नई सरकार बन गई है जिसे तालिबान चला रहा है। इस नई सरकार को लेकर देशभर में कई हस्तियां चिंतित हैं। वहां के बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब गया है। कई भारतीय कलाकारों ने भी ट्वीट कर इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है।

बता दें कि भारतीय कलाकार राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया पेश करते रहते हैं चाहे वो किसानों का मुद्दा हो या पाकिस्तान- अफगानिस्तान का, लेकिन भारत में किसानों के मुद्दे पर ट्वीट करने वाली अमेरिकी सिंगर रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग अफगानिस्तान पर खामोश हैं।

बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी ने अफगानिस्तान के हाल पर चिंता व्यक्त की है और अपना गुस्सा भी दिखाया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “इतिहास ने हमें सिखाया है कि धर्मान्ध लोग पहले धर्म के नाम पर कल्चर पर अटैक करते हैं। याद है कि कैसे तालिबान ने 6th शताब्दी में Bamiyan statues (बामियान बुद्ध) को ध्वस्त किया था। यह क्रूरता की ओर इशारा करता है।”

जावेद अख्तर ने भी ट्वीट किया उन्होंने लिखा, अमेरिका किस तरह की सुपरपावर है कि वो क्रूर तालिबान को खदेड़ नहीं पाया। ये कैसी दुनिया है, जो बिना दया के अफगानी महिलाओं को तालिबानियों के पास छोड़ दिया। उन पश्चिमी देशों को शर्म आनी चाहिए जो खुद को मानवीय अधिकारों का रक्षक होने का दावा करते हैं।

एक्टर सोनू सोदू ने अफगानिस्तान पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, “अफगानिस्तान मजबूत रहिए पूरी दुनिया आपके लिए दुआ कर रही है।”

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत राजनीति से लेकर सामाजिक मुद्दों पर प्रखर होकर अपनी बात रखती हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में लागू शरिया कानून पर भी वार किया है। फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए कंगना ने बताया कि आखिर शरिया क्या है ? उन्होंने लिखा, “मुझे इंस्टाग्राम पर कोई नाराजगी नहीं दिख रही है क्योंकि अफगानिस्तान से लोकतंत्र का सफाया हो गया है और शरिया लागू कर दिया गया है, वास्तव में बंगाल के कुछ हिस्सों में भी शरिया का प्रयोग किया जा रहा है, मेरे इंस्टा डमी पर, शरिया के तहत अगर महिलाएं बुर्का नहीं पहनती हैं उन्हें खुलेआम पीटा जाता है, फैशन प्रभावित या स्टाइल ब्लॉगर होने के नाते भूल जाते हैं, समलैंगिकता एक आपराधिक अपराध है। सार्वजनिक पथराव से लेकर खुली फांसी या सूली पर चढ़ाने तक की सजा अलग-अलग हो सकती है…। तानाशाह के मूड पर निर्भर करता है। कला, संस्कृति, फिल्में, संगीत सभी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा, फिर भी आप उनमें लिप्त हो सकते हैं या आपको जेल हो सकती है या मौत की सजा भी मिल सकती है…। ये हैं शरिया के कुछ दुष्परिणाम… अपने शुतुरमुर्ग के जीवन को जारी रखें”

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बता दें कि भारत में किसानों के आंदोलन को 1 साल होने वाला है। इस मुद्दे पर रिहाना ने ट्वीट कर सवाल किया था कि, आखिर हम इस पर बात क्यों नहीं कर रहें हैं ? उसके बाद पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भी खूब हल्ला मचाया था लेकिन अफगानिस्तान में महिलाओं का चीरहरण हो रहा है, बच्चों का कत्ले आम हो रहा है। इतने बड़े नरसंहार पर यह लोग चुप हैं।

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