जानिए European Union के एक Charger नियम के बारे में और भारत में इसको लेकर क्या है तैयारी

भारत सरकार Charger को लेकर नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 26) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताये गये ‘लाइफ - लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट (LiFE - Lifestyle for the Environment)’ मंत्र की अवधारणा पर काम कर रही है.

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Charger cable

यूरोपियन संघ (European Union) जो 27 देशों का एक संगठन है ने 4 अक्टूबर 2022 को दुनिया में पहली बार अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए एक ही चार्जर (Charger) के नियम को पास कर दिया है. बता दें कि भारत में भी अलग-अलग डिवाइस के लिए एक ही चार्जर लाने की योजना पर काम चल रहा है.

मंगलवार को हुए इस ऐतिहासिक फैसले में यूरोपियन संसद ने सिंगल चार्जर पोर्ट को लेकर नए नियम को मंजूरी दी. इस नियम के बाद से यूरोपियन संघ में मोबाइल फोन, टैबलेट, कैमरा, स्मार्टवॉच जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए सिंगल चार्जर पोर्ट होगा. यानि 2024 से यूरोप में बेचे जाने वाली हरेक डिवाइस में एक जैसा चार्जर लगेगा.

यूरोपियन संघ का मानना है कि उसके करीब 45 करोड़ नागरिकों को एक जैसे चार्जर मिलेंगे तो इससे करीब 11 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा कम होगा. लोगों का पैसा भी बचेगा, क्योंकि वे हर साल करीब 2,000 करोड़ रुपये चार्जर खरीदने में खर्च कर रहे हैं. संघ का कहना है कि नए नियमों के लागू होने से से पर्यावरण को लेकर भी काफी सुधार होगा. क्योंकि इससे ई-वेस्ट कम होगा.

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क्या बदलेगा?

नए नियम आने के बाद यूरोपियन बाजार में अपने उत्पाद बेचने वाली हर कंपनी को हर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए एक जैसा ही चार्जिंग पोर्ट बनाना होगा. ऐसा माना जा रहा है कि इस नियम के लागू होने के बाद से सबसे ज्यादा दिक्कत अमेरिकी तकनीकी कंपनी एप्पल को हो सकती है. क्योंकि सिंगल चार्जर पोर्ट USB-C होगा जो एंड्रॉयड आधारित डिवाइस के लिए ही ज्यादा उपयोगी है. ऐसे में एप्पल जो अबी अपने उत्पादों (iPhone, iPad, iWatch) को अपने सभी फोन और अन्य डिवाइस के चार्जिंग पोर्ट को बदलना होगा.

EU vice president showing different types of Charger 1
EU vice president showing different types of Charger cable

सबसे बड़ी बात ये है कि इससे उपभोक्ताओं के पैसे की भी बचत होगी. यूरोपियन सांसदों का अनुमान है कि इस फैसले से एक साल में 250 मिलियन पाउंड, यानी करीब 1,800 करोड़ रुपया बचाया जा सकता है. यूरोपियन यूनियन के 27 देशों के कुल 602 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर वोट किया. केवल 13 सांसद इस फैसले के खिलाफ थे वहीं आठ ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया.

यूरोपीय संघ में, पिछले वर्ष लगभग 420 मिलियन (42 करोड़) मोबाइल फोन और अन्य पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री हुई. युरोप में औसतन एक व्यक्ति के पास लगभग तीन मोबाइल फोन चार्जर होते हैं, जिनमें से वे नियमित रूप से दो का उपयोग करते हैं.

वर्ष 2009 में, 30 से अधिक प्रकार के चार्जर थे, लेकिन अब अधिकांश मॉडल में बस तीन प्रकार के ही चार्जर का उपयोग होता है जिसमें – यूएसबी-सी, लाइटनिंग और यूएसबी माइक्रो-बी.

भारत में जारी है बातचीत

भारत में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने पहले ही स्मार्टफोन निर्माताओं और अन्य संबंधित हितधारकों को उनके द्वारा बनाये जाने वाले सभी उपकरणों को चार्ज करने के लिए केवल एक केबल रखने की योजना के बारे में सोचने के लिए लिखा है.

भारत सरकार भी देश में एक देश, एक चार्जर (One Nation, One Charger) पर काम कर रही है. इसके तहत मोबाइल फोन, लैपटॉप, इयर फोन, स्पीकर, स्मार्ट वॉच आदि के लिए एक ही चार्जर होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि सिंगल चार्जर पोर्ट के नियम से सस्ते चार्जर और डंपिंग पर भी लगाम लगेगी. इसके अलावा उपभोक्ताओं को कम दाम में अच्छे उत्पाद मिलेंगे. इसके साथ ही देश में एसेसरीज मार्केट में मानकों को भी लागू हो सकते हैं.

भारत सरकार नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 26) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताये गये ‘लाइफ – लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट (LiFE – Lifestyle for the Environment)’ मंत्र की अवधारणा का हवाला दिया है।

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