Draupadi Murmu: 2022 के राष्ट्रपति चुनावों में भाजपा ने अपनी तरफ से झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के इस फैसले से राजनीतिक गलियारे में माहौल गर्म हो गया है। अगर मुर्मू राष्ट्रपति बन जाती हैं तो वो देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को ही क्यों उम्मीदवार बनाया है? क्या है इसके पीछे का असल कारण? राजनीतिक जानकारों के हिसाब से ओडिशा से आने वाली आदिवासी नेता मुर्मू को राष्ट्रपति चुनावों में उतार कर बीजेपी आदिवासी समुदाय में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहती है।

बता दें कि इसी साल के आखिर में गुजरात में चुनाव होने वाले हैं। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा जीतने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। उम्मीद है कि राष्ट्रपति चुनाव का सीधा फायदा भाजपा को गुजरात चुनावों में होगा। अब आप ये सोच रहे होंगे के राष्ट्रपति चुनावों का संबंध गुजरात से कैसे है, तो इसका जवाब हम आपको बताते हैं। दरअसल, गुजरात का आदिवासी समुदाय चुनावों में कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है। अगर ये समुदाय किसी एक पार्टी को अपना समर्थन देता है तो उसका जीतना लगभग तय समझिए।
गुजरात की राजनीति में सालों से ही भाजपा का दबदबा रहा है। इस ताकत को देखते हुए आने वाले चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही अपना पूरा जोर गुजरात में लगा रही हैं। ऐसे में भाजपा की ओर से देश के सबसे बड़े पद राष्ट्रपति की कुर्सी पर एक आदिवासी महिला को बिठाने की कोशिश अपने आप में एक बड़ा दांव है। जानकारों के मुताबिक भाजपा के इस फैसले का लाभ उन्हें गुजरात, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में मिल सकता है।
Draupadi Murmu: प्रधानमंत्री ने की मुर्मू की तारीफ
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्रौपदी मुर्मू की तारीफ की है। पीएम ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से हमारे देश को लाभ होगा। उनके दयालु स्वाभाव और नीतिगत मामलों की समझ का देश को फायदा होगा।” पीएम ने आगे कहा कि, “लाखों लोगों को खासकर वो लोग जिन्होंने गरीबी और जीवन में संघर्ष का सामना किया हो उन्हें मुर्मू जी से प्रेरणा मिलती है।”
Draupadi Murmu: गुजरात 2017 चुनावों के नतीजे से भाजपा ने लिया सबक
भाजपा ने साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी, लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस से उन्हें भारी टक्कर दी थी। गुजरात की कुल आबादी में 14.8 फीसदी की हिस्सेदारी केवल आदिवासी समुदाय की है। जिसमें 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 2017 के चुनावों में इन आधी सीटों पर भी पार्टी अपनी जीत का परचम नहीं लहरा पाई थी।

अब मुर्मू को उम्मीदवार बना कर भाजपा आदिवासी समुदाय के बीच कमल को खिलाना चाहती है। भाजपा की ये रणनीति कितनी कारगर साबित होती है ये तो राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ही बता सकते हैं। हालांकि इस फैसले पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने खुशी जाहिर करते हुए अपने समर्थन का संकेत दिया है।
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