छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिला दो तिहाई बहुमत अब मंत्रिमंडल के गठन में बड़ी चुनौती बन गया है। बड़ी संख्या में अनुभवी विधायकों के चुनाव जीतने के कारण दिग्गज मंत्रियों तक को शिकस्त देने वाले युवा विधायको को मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बिल्कुल ही आसार नही दिख रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं स्वीकार किया है कि पूर्व कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहे विधायकों के साथ ही बड़ी संख्या में अनुभवी विधायक इस बार चुनाव जीतकर आए है,इस कारण नाम तय करने में मुश्किल आ रही है। उन्होने संकेत दिया है कि नए विधायकों को इस बार मंत्रिमंडल में जगह मिलना संभव नही होगा।ऐसा ही संकेत मंत्री टी.ए.सिंहदेव ने भी दिया है,जिन्हे दिल्ली में मौजूद मुख्यमंत्री बघेल ने इस बारे में होने वाली चर्चा के लिए बुलाया है।

राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 68 विधायक है। इनमें डा.चरणदास महंत,रामपुकार सिंह,सत्यनारायण शर्मा,रविन्द्र चौबे,मोहम्मद अकबर,मनोज सिंह मंडावी,धनेन्द्र साहू,अमितेश शुक्ला,देवेन्द्र कुमार सिंह जोगी मंत्रिमंडल में सदस्य रह चुके है।इनमें से तो कुछ अविभाजित मध्यप्रदेश में भी मंत्री रहे है।इसके अलावा आदिवासी समाज के अमरजीत भगत,कवासी लकमा समेत कई विधायक कई बार लगातार चुनाव जीतते रहे है इनके साथ ही झीरम नक्सल हमले में मारे गए तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नन्द कुमार पटेल के पुत्र उमेश पटेल,पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोतीलाल वोरा के पुत्र अरूण वोरा सतनामी समाज,आदिवासी समाज एवं महिला को भी मंत्रिमंडल में जगह देना बहुत बड़ी चुनौती है।

राज्य में नियमानुसार मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री हो सकते है जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा दो मंत्रियों ने शपथ ले ली है,और अब 10 ही मंत्री बन सकते है। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के दो पदों पर वरिष्ठ विधायकों को समायोजित किया जा सकता है।जबकि मंत्री पद के प्रबल दावेदारों की संख्या डेढ़ दर्जन से भी अधिक है।इनमें पूर्ववर्ती सरकार के दिग्गज मंत्रियों को शिकस्त देने वाले विधायक शामिल नही है,जबकि वह भी मंत्री पद की आस लगाए हुए है।मुख्यमंत्री श्री बघेल के सामने जातियों,वर्गो एवं क्षेत्रवार सन्तुलन बनाना काफी चुनौती बना हुआ है। आठ दिग्गज मंत्रियों को शिकस्त देने वाले विधायक ही नही बल्कि उनसे समर्थकों एवं क्षेत्रवासियों को भी आस है कि उनके द्वारा चुने प्रतिनिध को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी।मंत्रियों को हराने वाले सभी युवा चेहरे है।

रमन  सरकार के वरिष्ठ मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को भिलाई नगर सीट पर हराने वाले देवेन्द्र यादव प्रदेश के सबसे युवा विधायक है।वह भिलाई के महापौर भी है।इसके अलावा रायपुर पश्चिम सीट पर एक और कद्दावर मंत्री रहे राजेश मूणत को हराकर चुनाव जीते वाले विकास उपाध्याय भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार है। बिलासपुर सीट पर कद्दावर मंत्री अमर अग्रवाल को हराकर शैलेष पाण्डेय चुनाव जीते है,जबकि बीजापुर सीट से मंत्री महेश गागडा को हराने वाले विक्रम सिह मंडावी,नारायणपुर सीट से मंत्री केदार कश्यप को हराने वाले चन्दन कश्यप,नवागढ़ सीट से दयालदास बघेल को हराकर गुरूदयाल बंजारे ने तथा बैकुंठपुर सीट से मंत्री भैयालाल राजवाडे को हराकर अम्बिका सिंहदेव चुनाव जीती है।यह सभी मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद लगाये बैठें है।

फिलहाल मुख्यमंत्री बघेल दिल्ली में पार्टी अध्य़क्ष राहुल गांधी से मंत्रिमंडल पर चर्चा के लिए पिछले दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए है।वह अपने साथ वरिष्ठता,जातीय समीकरणों तथा क्षेत्रवार सन्तुलन रखने का पूरा खाका तैयार करके ले गए है। राज्य के प्रभारी पी.एस.पुनिया से भी उन्होने कल ही इस बारे में चर्चा पूरी कर ली है। माना जा रहा है कि गांधी के अनुमति मिलते ही वह अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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