भारत का उत्तरी हिस्सा इस समय कड़ाके की ठंड (Cold) से जूझ रहा है, लोगों को घरों से निकलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में भी पारा (Temperature) लगातार गिरता ही जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार गुरुवार 5 जनवरी की सुबह इस साल की सबसे सर्द सुबह रही। गुरुवार की सुबह दिल्ली के लोधी रोड का तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया जो इस सीजन की अब तक की सबसे ठंडी सुबह है।
इस समय दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई इलाकों में हाड़ कंपाने वाली सर्दी (Winter) पड़ रही है। इसके अलावा दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में गुरुवार की सुबह काफी घना कोहरा छाया रहा। दिल्ली के सफदरजंग तापमान केंद्र (Observatory) में न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि बुधवार को वहां पारा 4.4 डिग्री सेल्सियस और मंगलवार को 8.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
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क्या कह रहा है मौसम विभाग?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के पूर्वानुमान (Advance Estimates) में जनवरी 2023 में मध्य भारत के कई हिस्सों और प्रायद्वीपीय और उत्तर-पश्चिम भारत के आसपास के क्षेत्रों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने के आसार जताये हैं। IMD के अनुसार, ‘दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ में कुछ स्थानों पर ठंडे दिनों से लेकर से लेकर अत्यधिक ठंड़े दिनों की स्थिति रहेगी।’
इससे पहले भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बुधवार को दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के लिए गुरुवार और शुक्रवार के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया था। विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटे तक देश के उत्तरी हिस्सों में शीत लहर और ठंड का प्रकोप जारी रहने के आसार हैं।
मौसम विभाग का कहना है कि, सात जनवरी से उत्तर-पश्चिम भारत के एक नए पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में आने के कारण ठंडे दिनों से थोड़ी राहत मिल सकती है।
क्यों पड़ती है उत्तर भारत में इतनी Cold
किसी भी जगह के मौसम का गहरा संबंध अक्षांश रेखा (Latitude) से होता है। यही तय करता है कि किसी स्थान पर को सूरज का कितना प्रकाश और ऊर्जा मिलेगी। यही कारण है कि अक्षांश रेखा में आने वाले स्थानों पर ठंड में बर्फबारी आम है, वहीं भूमध्यरेखा (Equator) के पास आने वाले स्थान आमतौर पर गर्म होती हैं। अगर हम दिल्ली को लें तो ये जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से घिरा हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण यहां से आने वाली ठंडी हवाएं दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में शीतलहर लेकर आती हैं और ये हर साल होता है।
कितने तरह के अलर्ट जारी करता है विभाग?
भारत का मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), मौसम (Weather) से संबंधित चेतावनी के लिए चार रंग के अलर्ट का प्रयोग करता है, जिनमें हरा (जिसमें किसी भी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं), पीला (ध्यान दें और अपडेट लेते रहे), नारंगी (अपने आप को तैयार रखें) और लाल (कार्रवाई करें) रंग शामिल हैं।
क्या है कोहरा मापने के तरीके?
मौसम विभाग के पैरामीटर्स के अनुसार, जब दृश्यता (Visibility) शून्य से 50 मीटर के बीच होती है तो उसे बहुत घने कोहरे के रुप में जाना जाता है। वहीं, 51 से 200 मीटर के बीच दृश्यता को घना कोहरा तो 201 से 500 मीटर को मध्यम और 501 से 1,000 मीटर के बीच की दृश्यता को हल्के कोहरे की श्रेणी में रखा जाता है। विभाग के अनुसार इस समय दिल्ली समेत देश के उत्तरी मैदानी हिस्सों में गुरुवार को लगातार चौथे दिन बहुत घना कोहरा छाया हुआ था।
कब की जाती है शीत लहर की घोषणा?
मौसम विभाग के अनुसार, देश के मैदानी इलाकों में शीतलहर (Cold wave) की घोषणा तब की जाती है, जब न्यूनतम तापमान लुढ़ककर चार डिग्री सेल्सियस पर आ जाए या फिर औसतन 10 डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे और सामान्य से 4.5 डिग्री कम हो जाए। इसके अलावा भीषण शीतलहर की घोषणा जब की जाती है जब न्यूनतम तापमान घटकर दो डिग्री सेल्सियस हो जाने या सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस से कम हो। वहीं विभाग की भाषा में, एक ठंडा दिन तब होता है, जब न्यूनतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस से कम या इसके बराबर हो और अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस कम हो। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब अधिकतम तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक कम हो जाये तो उसे एक अत्यधिक ठंडा दिन कहा जाता है।
आवाजाही भी प्रभावित
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि, घने कोहरे के कारण कई ट्रेनें देरी से चल रहीं है तो वहीं कुछ के समय में भी बदलाव किया गया है। इसके साथ ही घने कोहरे के चलते दिल्ली एयरपोर्ट ने यात्रियों के लिए कोहरे का अलर्ट भी जारी किया है, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि ‘वर्तमान में सभी उड़ाने अपने तय समय पर संचालित की जा रही हैं और यात्रियों से अनुरोध है कि वे उड़ान से जुड़ी हुई अधिक जानकारी के लिए संबंधित एयरलाइन से संपर्क करें।’