Coal Minister Prahlad Joshi ने कहा है कि कोयले की बीच में थोड़ी कमी हुई थी क्योंकि बहुत ज़्यादा बारिश हुई थी और अंतरराष्ट्रीय दाम अचानक बहुत ज़्यादा बढ़ गए थे। आयातित कोयले पर आधारित पावर प्लांट 15-20 दिन से लगभग बंद हो गए हैं या बहुत कम प्रोडक्शन जनरेट कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने कल 1.94 मिलियन टन कोयला सप्लाई किया है, इतिहास में ये घरेलू कोयले की सबसे ज़्यादा सप्लाई है। पहले जो 15-20 दिन का कोयले का स्टॉक था वो कम हुआ है लेकिन कल कोयले का स्टॉक बढ़ा है। मुझे विश्वास है कि कोयले का स्टॉक बढ़ेगा, पैनिक करने की स्थिति नहीं है।
20 दिनों के कोयला भंडार की होती है जरूरत
भारत में अधिकांश पॉवर प्लांट कोयले के भंडार की कमी झेल रहे हैं। वर्तमान में भारत में कुल 135 प्लांट है। नियमों के अनुसार सभी पावर प्लांट में कम से कम 20 दिनों का कोयला भंडार होना ही चाहिए। लेकिन हाल के दिनों में इस भंडार में कमी देखने को मिल रही है। अब वो महज चार दिनों का रह गया है।
केंद्र की तरफ से कहा गया है कि कोयले की स्टॉक होल्डिंग अभी भी औसतन चार दिनों का है इस कारण चिंता की कोई बात नहीं है।
दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (TPDDL) की तरफ से शनिवार को लोगों से बिजली की खबत न्यायसंगत तरीके से करने की अपील की गयी थी। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि देश में कोयले की कमी हो गयी है। उन्होंने कहा था कि आने वाले समय में बार-बार लोड शेडिंग हो सकती है।
ऐसा क्यों हो रहा है?
गौरतलब है कि यह संकट कई महीनों से पैदा हुआ है। कोविड संकट से बाहर आती भारत की अर्थव्यवस्था में बिजली की खपत काफी अधिक बढ़ गयी है। पिछले दो महीनों में ही बिजली की खपत 2019 के मुकाबले 17 प्रतिशत अधिक देखने को मिल रही है। जबकि भारत का कोयला आयात सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
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