BSF: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किमी करने का फैसला किया है। जिसके बाद से सीमा सुरक्षा बल को बढ़े हुए दायरे में राज्य पुलिस के समान गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती के अधिकार मिल गये हैं। इस फैसले का जहां पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने विरोध किया है। वहीं असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा फैसले के समर्थन में आगे आए हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने वाला फैसला: सरमा
सरमा ने कहा, ‘असम बीएसएफ के क्षेत्राधिकार के विस्तार का स्वागत करता है। राज्य पुलिस के समन्वय से, यह कदम सीमा पार तस्करी और अवैध घुसपैठ को नाकाम करने की दिशा में काम करेगा। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हित को मजबूत करता है।’ इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने फैसले का विरोध करते हुए ट्वीट किया, ‘मैं भारत सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं। जिसमें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ-साथ चलने वाले 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को अतिरिक्त शक्तियां देने का फैसला किया गया है, ये राज्यों के अधिकार पर सीधा हमला है। मैं गृहमंत्री अमित शाह से इस फैसले को वापस लेने का आग्रह करता हूं।’
गुजरात में सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र में कटौती
हालांकि हैरान करने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य यानी गुजरात में सीमा सुरक्षा बल के इस अधिकार क्षेत्र में कटौती कर दी गई है। गुजरात में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र पहले 80 किमी के दायरे में आता था, जिसे घटाकर 50 कर दिया गया है। वहीं राजस्थान में पहले से निर्धारित 50 किमी के दायरे में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
इसके अलावा गृह मंत्रालय ने मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख राज्य में सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र में किसी भी तरह की सीमा तय नहीं की है यानी सीमा सुरक्षा बल पूरे राज्य में कहीं भी कोई एक्शन लेने के लिए स्वतंत्र है।